BIHAR : केंद्रीय मेंत्री ने सारण के कालूघाट पर इंटरमॉडल टर्मिनल के निर्माण के लिए रखा आधारशिला, अंतर्देशीय पोत को दिखाया झंडी

पटना। प्रधानमंत्री की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के अनुरूप बंदरगाह जहाजरानी (पोर्ट शिपिंग) परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के माध्यम से जलमार्गों के जरिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग-1, भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग और एनडब्लू-2 जैसी कई आधारभूत परियोजनाएं शुरू की है। सरकार ने लगभग 4600 करोड़ रुपये के निवेश के साथ महत्वाकांक्षी जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) शुरू की है। इसका उद्देश्य 2000 टन तक क्षमता वाले जहाजों की सुरक्षित और सतत आवाजाही के लिए एनडब्लू-1 (गंगा नदी) की क्षमता में विस्तार करना है।
इस कड़ी में बंदरगाह जहाजरानी (पोर्ट शिपिंग) परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शनिवार को बिहार के सारण जिले के कालूघाट में इंटरमॉडल टर्मिनल के निर्माण की आधारशिला रखी और केंद्रीय मंत्री श्री सोनोवाल एवं पीयूष गोयल ने पटना से आईडब्ल्यूएआई के स्वामित्व वाले अंतर्देशीय पोत एमवी लाल बहादुर शास्त्री को झंडी दिखाकर रवाना किया। उत्तर पूर्वी क्षेत्र को जोड़ने वाले अंतर्देशीय जल परिवहन मार्ग की तकनीकी और वाणिज्यिक व्यवहार्यता स्थापित करने के लिए लगभग एक मील के पत्थर के रूप में भारतीय खाद्य निगम के 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न के अनाज की खेप को अंतर्देशीय जलमार्ग पर पटना से गंगा नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग-1) पर ब्रह्मपुत्र (राष्ट्रीय जलमार्ग-2) पर पांडु (गुवाहाटी) तक पहुंचाया जाएगा। जहाज राष्ट्रीय जल मार्ग-1 के जरिए भागलपुर, मनिहारी, साहिबगंज, फरक्का, त्रिबेनी, कोलकाता, हल्दिया, हेमनगर, भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) पर खुलना, नारायणगंज, सिराजगंज, चिलमारी और राष्ट्रीय जलमार्ग-2 के माध्यम से धुबरी और जोगीघोपा से 2,350 किमी की दूरी तय करेगा। पोत को यात्रा पूरी करने में लगभग 25 दिन लगेंगे और इसके मार्च 2022 के पहले सप्ताह में पांडु (गुवाहाटी) पहुंचने की उम्मीद है।

जेएमवीपी के तहत बिहार के सारण जिले के कालूघाट में इंटरमॉडल टर्मिनल बनने जा रहा है। टर्मिनल के निर्माण के लिए आईडब्ल्यूएआई और मेसर्स संजय कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच 78.28 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2023 तक पूरा होगा। टर्मिनल का निर्माण 13.17 एकड़ भूमि पर किया जाएगा। यह साइट बिहार के सारण जिले में गंगा नदी पर स्थित है (पटना मुख्य शहर से सड़क मार्ग से 25 किमी दूर) और टर्मिनल सीधे एनएच 19 से जुड़ा है। एक बर्थ वाले टर्मिनल की क्षमता 77,000 टीईयू प्रति वर्ष होगी और इस टर्मिनल को कंटेनर यातायात को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है।
आईडब्ल्यूएआई का लक्ष्य इन मार्गों पर नियमित शिड्यूल सेवाएं शुरू करना है। भारत और बांग्लादेश के बीच प्रोटोकॉल आन इनलैंड वाटर ट्रांजिट एंड ट्रेड दोनों देशों के जहाजों द्वारा दोनों देशों के बीच माल की आवाजाही के लिए अपने जलमार्गों के उपयोग के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यवस्था की अनुमति देता है। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्गों के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र नदी) और राष्ट्रीय जलमार्ग-16 (बराक नदी) से जुड़ा है। नौवहन में सुधार के लिए आईबीपी मार्गों के दो हिस्सों, सिराजगंज-दाइखोवा और आशुगंज-जकीगंज को भी 305.84 करोड़ रुपये की लागत से 80:20 शेयर के आधार पर (80% भारत द्वारा और 20% बांग्लादेश द्वारा वहन किया जा रहा है) विकसित किया जा रहा है। इन हिस्सों के विकास से आईबीपी मार्ग के माध्यम से एनईआर को निर्बाध नेविगेशन प्रदान करने की उम्मीद है। सात वर्षों (2019 से 2026 तक) की अवधि के लिए अपेक्षित गहराई प्रदान करने और बनाए रखने के लिए दो हिस्सों पर ड्रेजिंग के अनुबंध जारी हैं।