देश में नहीं बढ़ेगी लोन की किस्त; आरबीआई का रेपो रेट में कोई बदलाव नही, 6.5 पर रखा स्थिर
नई दिल्ली। देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई द्वारा हर दो महीने के बाद मैद्रिक नीति समीक्षा बैठक होती है। यह बैठक तीन दिवसीय होती है। इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं। 4 अक्टूबर से आरबीआई की मैद्रिक नीति समीक्षा बैठक शुरू हुई थी। इस बैठक का फैसला आज आरबीआई गवर्नर द्वारा दिया गया है। फेस्टिव सीजन में इस फैसलों पर सबकी नजर बनी हुई है। इस बैठक में देश के आर्थिक स्थिति और महंगाई को ध्यान में रखकर फैसले लिये जाते हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऐलान किया कि इस बार भी बैठक में फैसला लिया गया है कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसका मतलब है कि रेपो रेट यथावत 6.5 फीसदी पर बना रहेगा। आपको बता दें कि कई विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि मुद्रास्फीति और अन्य वैश्विक कारकों के कारण रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया जा सकता है। देश में महंगाई दर की बात करें तो ये आरबीआई के तय दायरे से बाहर बनी हुई है। बीते जुलाई 2023 की तुलना में अगस्त महीने में इसमें गिरावट देखने को मिली थी। जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर 7.44 फीसदी के स्तर पर थी, जो कि अगस्त महीने में घटकर 6.83 फीसदी पर आ गई थी। यहां बता दें कि केंद्रीय बैंक ने देश में महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है।
जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में भी बदलाव नहीं
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि एफवाई-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.5 फीसदी रखा गया है। वहीं एफवाई-24 की तीसरी तिमाही के लिए यह 6 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए इसे 5.7 फीसदी पर बरकरार रखा गया। एफवाई25 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.6 फीसदी की दर से रहने का अनुमान लगाया गया है।
महंगाई को लेकर आरबीआई का ये अनुमान
शक्तिकांत दास ने महंगाई के तय दायरे के ऊपर होने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक आउटलुक महंगाई दरों पर असर डालने वाला रहा है। इसके अलावा जुलाई 2023 में टमाटर समेत अन्य सब्जियों की बढ़ी कीमतों का प्रभाव भी महंगाई दर पर देखने को मिला है। उन्होंने एफवाई-24 में महंगाई दर 5.4 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है। एफवाई-24 की दूसरी तिमाही में रिटेल महंगाई 6.2 फीसदी से बढ़कर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान, जबकि तीसरी तिमाही में ये 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी पर रह सकती है। रेपो रेट को आसान भाषा में समझे तो यह केंद्रीय बैंक द्वारा देश के बाकी बैंकों में दिये जाने वाले कर्ज की दर होती है। बैंक इसी दर पर ग्राहकों को भी लोन की सुविधा देते हैं। अगर केंद्रीय बैंक रेपो रेट को कम करने का फैसला लेता है तो इसका मतलब होता है कि अब बैंक ग्राहकों को कम ब्याज दर पर होम लोन, व्हीकल और बाकी लोन देती है।