कोरोना से मची तबाही के बीच चीन के बाजारों में भारतीय दवाओं की डिमांड कई गुना तक बढ़ी, खरीदने को लोगों में लगी होड़

नई दिल्ली। दिसंबर की शुरुआत में कोविड के सख्त नियमों में छूट देने के बाद से ही चीन में केस अचानक बहुत तेजी से बढ़े हैं। इससे वहां दवाओं और वायरस टेस्ट किट की डिमांड में उछाल आया है। यही वजह है कि दवाएं बनाने वाली कंपनियां प्रोडक्शन बढ़ा रही हैं। कोरोना से बचाव के लिए चीन के लोग भारतीय दवाओं के भरोसे है। चीन में मरीजों की संख्या बढ़ने से दवाओं की कमी हो गई है। लोग मदद के तौर पर एक से दूसरे शहर दवाएं पहुंचा रहे हैं। छोटे बच्चों के संक्रमित होने के मामले भी सामने आए हैं। संक्रमण से हॉस्पिटलों में भीड़ और दवाओं की किल्लत की वजह से लोगों को झुकाव योग, ध्यान और शाकाहारी खाने की ओर बढ़ा है। सोशल मीडिया पर कई इसके तरीके और अनुभव शेयर कर रहे हैं।
भारत की जेनरिक दवाएं 4 गुना तक सस्ती, इनकी काफी डिमांड
भारत की कंपनियां चीन को ज्यादा दवाएं देने के लिए तैयार हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग मेकर है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) के चेयरपर्सन साहिल मुंजाल ने कहा है कि इबुप्रोफेन और पेरासिटामॉल के लिए दवा कंपनियों की क्वेरीज आ रही हैं। भारतीय जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले 4 गुना तक सस्ती हैं। इसलिए चीन में इनकी काफी डिमांड है।
स्टॉक की कमी, दुकानों से खरीदना मुश्किल
दवाओं के लिए चीन के लोग भारत की तरफ ही देख रहे हैं। चीन में भारत में बनी एंटी कोविड जेनरिक दवाएं खासतौर से फाइजर की दवा पैक्सलोविड चीन में सबसे ज्यादा बिक रही है। इसे लेने के लिए एक हफ्ते पहले बुक करना पड़ रहा है। भारतीय जेनरिक दवाओं के स्टॉक की कमी के कारण चीन में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और मेडिकल स्टोर्स ने प्री-सेल मोड शुरू कर दिया है। इन दवाओं को दुकानों से खरीदना मुश्किल हो गया है। भारत से सीधे मंगाने में लगभग 15-20 दिन लगते हैं। एक व्यक्ति को सिर्फ दो बॉक्स दिए जा रहे हैं है। यहां तक ​​कि कुछ ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों ने भारी मांग की वजह से भारतीय जेनरिक दवाओं से जुड़े कीवर्ड्स ब्लॉक कर दिए हैं। ये ऐसा वक्त है, जब चीन में दवाएं गर्म केक की तरह बिक रही हैं। अभी चीनी बाजार में 4 तरह की एंटी-कोविड भारतीय जेनरिक दवाएं बेची जाती हैं। इनमें प्रिमोविर, पैक्सिस्टा, मोलनुनाट और मोलनाट्रिस शामिल हैं। इनमें से पहली दो फाइजर पैक्सलोविड की जेनरिक दवाएं हैं। पैक्सिस्टा का प्रोडक्शन भारतीय कंपनी हेटेरो की सहायक कंपनी अजीस्ता करती है। बाकी दो दवाएं मर्क के मोल्नुपिराविर के लिए जेनरिक हैं।
चीन में भारतीय जेनरिक दवाएं बेचना गैरकानूनी
हालांकि, चीन सरकार भारतीय एंटी-कोविड दवाओं को अप्रूवल नहीं देती है। चीन में भारतीय जेनरिक की बिक्री अब भी गैरकानूनी मानी जाती है और इनकी बेचने पर सजा मिलती है। इसके बावजूद चीनी डॉक्टर अनौपचारिक चैनलों से ये दवाएं खरीदने की सलाह दे रहे हैं। इससे यह चीन में ज्यादातर लोगों के लिए कुछ हद तक अप्रभावी हो जाती है। इसके ब्रांडेड वर्जन की 10 गोलियों के एक बॉक्स की कीमत 140 युआन है। वहीं भारतीय वर्जन का 100 गोलियों वाला बॉक्स सिर्फ 200 युआन में मिल जाता है। इसलिए चीन में इस दवा की भारी मांग है।

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