भारत पर लगेगा एक्स्ट्रा टैरिफ: ट्रंप बोले- वहां के सस्ते चावलों के कारण अमेरिका के किसानों को घाटा, जल्द लागू होगा नियम
नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते एक बार फिर तनावपूर्ण मोड़ की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका भारत से आयात होने वाले चावल और कनाडा से आने वाली खाद पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में महंगाई और कृषि लागत बढ़ रही है और स्थानीय किसान सरकार पर सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।
ट्रंप का बयान: सस्ता विदेशी सामान अमेरिकी किसानों को नुकसान
व्हाइट हाउस में किसानों के लिए नई आर्थिक मदद की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों से आने वाला चावल बेहद सस्ता है, जिससे अमेरिकी किसानों की आमदनी प्रभावित हो रही है। उन्होंने इसे “डंपिंग” की श्रेणी में बताया। डंपिंग का अर्थ है कि कोई देश अपने उत्पाद को दूसरे देश में बहुत कम कीमत पर बेचता है, जिससे स्थानीय बाजार की प्रतिस्पर्धा बिगड़ जाती है और घरेलू कंपनियां उस कम कीमत पर उत्पादन नहीं कर पातीं। इससे विदेशी माल का दबदबा बढ़ जाता है और लोकल किसान व व्यापारी नुकसान झेलते हैं।
क्या भारत को मिली हुई है कोई विशेष छूट?
ट्रंप ने अपने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से पूछा कि क्या भारत को चावल निर्यात में किसी तरह की छूट मिली है। इस पर मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच नई व्यापारिक समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। इससे संकेत मिलता है कि अमेरिका भविष्य में भारतीय चावल पर सख्त व्यापारिक शर्तें लागू कर सकता है।
कनाडा से आने वाली खाद पर भी नजर
ट्रंप ने यह भी कहा कि यदि जरूरत हुई तो कनाडा से आने वाले उर्वरकों पर भी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जा सकता है। कनाडा अमेरिका को सबसे ज्यादा पोटाश खाद सप्लाई करता है। व्यापार समझौते के कारण इसे अब तक संरक्षण मिला था, लेकिन ट्रंप प्रशासन इसे भी पुनः समीक्षा के दायरे में ला सकता है। हालांकि, यदि खाद पर नए टैरिफ लगाए जाते हैं, तो इसका उल्टा असर अमेरिकी किसानों पर पड़ेगा क्योंकि उर्वरक पहले से ही महंगे हैं। यह कदम खेती लागत को और बढ़ा सकता है।
अमेरिका में बढ़ती महंगाई और राजनीतिक दबाव
ट्रंप पर लगातार यह दबाव बढ़ रहा है कि वे घरेलू महंगाई को नियंत्रित करें और किसानों को राहत दें। कई किसान यह कह रहे हैं कि विदेशी सस्ते उत्पादों के कारण उनकी फसलें बिक नहीं पा रहीं और लागत बढ़ती जा रही है। ऐसे में टैरिफ लगाना ट्रंप का राजनीतिक रूप से सुरक्षित कदम माना जा रहा है।
भारत पर संभावित असर
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। दुनिया भर में होने वाले चावल के कुल निर्यात में भारत का हिस्सा लगभग 40% है। वित्त वर्ष 2022–23 में भारत ने लगभग 15 मिलियन टन चावल विदेशों में भेजा। भारत मुख्य रूप से दो प्रकार के चावल निर्यात करता है—बासमती और गैर-बासमती। अमेरिका भारतीय चावल का बड़ा बाजार नहीं है, लेकिन फिर भी 2023 में भारत ने अमेरिका को लगभग 2.8 लाख टन चावल भेजा था। यदि अमेरिकी बाजार में टैरिफ बढ़ता है, तो— भारतीय चावल महंगा होकर कम प्रतिस्पर्धी हो जाएगा, अमेरिका में भारतीय चावल की मांग घटेगी, भारत के उन किसानों और निर्यातकों को नुकसान होगा जिनकी आय अमेरिका पर निर्भर है।
भारत को नए बाजारों की तलाश करनी होगी
चूंकि अमेरिका भारत का प्रमुख चावल खरीदार नहीं है, इसलिए भारतीय चावल उद्योग पर इसका व्यापक प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन जो व्यापारी सीधे अमेरिकी बाजार से जुड़े हैं, उन्हें नए आयातक देशों की तलाश करनी पड़ सकती है। भारत पहले ही अफ्रीका, मध्य-पूर्व और एशिया के कई देशों को चावल निर्यात करता है। गैर-बासमती चावल के सबसे बड़े खरीदार पश्चिम अफ्रीकी देश हैं, जबकि बासमती चावल की सबसे अधिक मांग मध्य-पूर्व में है—विशेषकर सऊदी अरब, ईरान और इराक में।
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और भारत
ट्रंप पहले भी कई विदेशी उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा चुके हैं, जिसमें भारत से जुड़े व्यापारिक मामलों पर भी कई बार सख्त रुख देखने को मिला। उन्होंने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ रूसी तेल खरीदने के कारण लगाया था। उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति स्पष्ट करती है कि वे घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं हटते। ट्रंप का यह बयान वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर डाल सकता है। भारत का चावल निर्यात भले ही इससे बड़े पैमाने पर प्रभावित न हो, लेकिन अमेरिकी बाजार से जुड़े किसानों और निर्यातकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। दूसरी ओर, अमेरिकी किसान भी उर्वरक महंगा होने की स्थिति में नई मुश्किलों का सामना करेंगे। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या अमेरिका वास्तव में अतिरिक्त टैरिफ लागू करता है या व्यापारिक बातचीत के बाद कोई संतुलित समाधान निकलता है।


