बृज बिहारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मुन्ना शुक्ला समेत 2 को उम्रकैद, सूरजभान सिंह समेत 5 बरी
नई दिल्ली/पटना। बिहार के पूर्व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस फैसले में पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और एक अन्य आरोपी को दोषी करार दिया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई। वहीं, इस मामले में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और राजन तिवारी समेत पांच आरोपियों को बरी कर दिया गया है। यह फैसला बृज बिहारी प्रसाद के परिवार और न्याय की उम्मीद रखने वालों के लिए अहम रहा है, जिसमें सीबीआई ने भी अपनी भूमिका निभाई थी।
हत्याकांड का पूरा घटनाक्रम
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या 13 जून 1998 को पटना के IGIMS (इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान) में हुई थी। वे उस समय इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थे और शाम के समय अस्पताल कैंपस में टहल रहे थे। इसी दौरान वहां पहुंचे अपराधियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। उस वक्त बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी। यह हत्याकांड उस समय का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था, जिसकी गूंज पटना से लेकर दिल्ली तक सुनाई दी थी।
आरोपी और मामले की सुनवाई
इस हत्याकांड में नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें प्रमुख रूप से सूरजभान सिंह उर्फ सूरज सिंह, विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी, मुकेश सिंह, ललन सिंह, मंटू तिवारी, कैप्टन सुनील सिंह, राम निरंजन चौधरी, और शशि कुमार राय शामिल थे। सभी आरोपियों पर पटना के सिविल कोर्ट में ट्रायल चला था और 2009 में निचली अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन इसके बाद आरोपियों ने पटना हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट का फैसला
2014 में पटना हाईकोर्ट ने सभी आठ आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि इस केस में पर्याप्त सबूत नहीं हैं जो आरोपियों को दोषी सिद्ध कर सकें, इसलिए वे संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। इस फैसले से बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी और भाजपा नेता रमा देवी संतुष्ट नहीं थीं। उन्होंने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। रमा देवी ने हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की थी और कहा था कि उनके पति की हत्या राजनीतिक साजिश के तहत की गई थी। इस मामले में सीबीआई ने भी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, क्योंकि हत्या के बाद राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर. माधवन शामिल थे, ने इस मामले की 21 और 22 अगस्त को सुनवाई पूरी की और आदेश को सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए मुन्ना शुक्ला और एक अन्य आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं, सूरजभान सिंह समेत पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुन्ना शुक्ला के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं जो उन्हें दोषी साबित करते हैं। वहीं, अन्य पांच आरोपियों के खिलाफ सबूतों की कमी के कारण उन्हें बरी किया गया है। यह फैसला एक लंबे समय से चल रहे मुकदमे का परिणाम है और इसे न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रमा देवी और राजनीतिक पृष्ठभूमि
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के बाद उनकी पत्नी रमा देवी ने राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। वे शिवहर लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने रमा देवी का टिकट काट दिया था, जिससे वे थोड़ी असंतुष्ट थीं। लेकिन वे हमेशा अपने पति के लिए न्याय की लड़ाई में सक्रिय रहीं और यही कारण था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में फिर से न्याय की मांग की।
हत्याकांड के राजनीतिक प्रभाव
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ गई थी। उस समय बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी और यह हत्या एक बड़े राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देखी गई थी। राज्य सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी थी। इस हत्याकांड ने बिहार की राजनीति में उस समय हड़कंप मचा दिया था, और यह मामला लंबे समय तक राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बना रहा।
सीबीआई की भूमिका
इस हत्याकांड की जांच सीबीआई द्वारा की गई थी और सीबीआई ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सीबीआई का कहना था कि हत्या के समय जो सबूत और गवाह मौजूद थे, उनके आधार पर सभी आरोपियों को दोषी ठहराना संभव था। सीबीआई ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाए थे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में एक नई दिशा दी है। मुन्ना शुक्ला और एक अन्य आरोपी को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जबकि सूरजभान सिंह समेत पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया है। यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया की जटिलता और सबूतों की आवश्यकता को दर्शाता है। इस फैसले से बृज बिहारी प्रसाद के परिवार को न्याय की कुछ संतुष्टि जरूर मिली होगी, लेकिन यह भी स्पष्ट हो गया है कि न्यायिक प्रक्रिया में सबूतों का कितना महत्वपूर्ण स्थान होता है। बृज बिहारी प्रसाद की हत्या बिहार की राजनीति के एक दुखद अध्याय के रूप में जानी जाती है और इस फैसले ने उस घटना को फिर से चर्चा में ला दिया है।


