बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने मनाया अपना चतुर्थ स्थापना दिवस, बोले मुकेश सहनी- किसान मछुआरे का बेटा हूं किसानों का दर्द समझता हूं

फुलवारी शरीफ। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने रविवार को अपना चार साल पूरा किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान के सभागार में आयोजित इस समारोह में राज्य के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। मंत्री मुकेश साहनी ने विश्वविद्यालय के चौथे स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि गरीब किसान मछुआरों का बेटा हूं इसलिए किसानों का दर्द बखूबी समझता हूं। उन्होंने कहा कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के स्टूडेंट ऐसा विजन तैयार करके पढ़ाई करें, जिससे बिहार के गरीब किसान परिवारों की आर्थिक समृद्धि बढ़े और बिहार की तरक्की में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार हर तरह से संसाधनों को मुहैया कराने के लिए पूरी तरह गंभीर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए की राशि दी है। उन्होंने वैज्ञानिकों से शिक्षा प्रसार और शोध के कार्यों में तेजी लाने की अपील की।
मंत्री ने कहा कि गांव-गांव जाकर वेटनरी डॉक्टर्स बीमार पशुओं का इलाज करेंगे। डोर टू डोर पशु चिकित्सकों को भेजने की व्यवस्था हो रही है ताकि किसानों व पशुपालकों को बीमार पशुओं की देखरेख व इलाज सुलभ हो सके। इसके लिए 3 साल में एक हजार डॉक्टर्स की जरूरत पड़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा काम करना है की दूसरे राज्यों को बिहार की मछली भेजा जा सके। बकरी पालन, खस्सी, चिकेन आदि वेटनरी से जुड़े हर उत्पादों को बेहतरीन ढंग से सुचारू रूप से कार्य करने के लिए सरकार गंभीर हैं। डेयरी को बढ़ावा देने के उपायों पर काम हो रहा है।
मंत्री ने कहा कि नौकरी नहीं बल्कि सेवा भाव से काम करें। उन्होंने कुलपति वैज्ञानिकों को भरोसा दिलाते हुए कहा की जो प्लानिंग सरकार को दी जाएगी, उसे सरकार पूरा करेगी। उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही विश्वविद्यालय के नए भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जायेगा, जिसके लिए सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गयी है। विश्वविद्यालय के कार्यों से राज्य के पशुपालकों और किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से कार्य करना होगा।
उन्होंने आगे कहा की बिहार में पशुपालकों के लिए नस्ल सुधार का काम किया जा रहा है, जिससे उन्हें लाभ मिलेगी। राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अति पिछड़ा वर्ग को नो प्रतिशत अनुदान देकर इस क्षेत्र से जोड़ा जा रहा है। साथ ही मुर्गी पालन, बकरी पालन, सुअर पालन एवं गाय पालन पर सरकार का विशेष प्लान के तहत काम चल रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी के क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रगतिशील पशुपालकों उद्यमियों को मंत्री मुकेश सहनी द्वारा प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस दौरान डॉ. अलाउद्दीन अहमद खान, भूतपूर्व कुलपति, शेर-ए- कश्मीर विश्वविद्यालय, जम्मू विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे, साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह, बीआईटी, पटना के निदेशक डॉ. अरविन्द कुमार, पटना के निदेशक उज्जवल कुमार, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. (कैप्टेन) आनंद गोपाल बंद्योपाध्याय और निदेशक अनुसंधान डॉ. रविन्द कुमार मंच पर उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन किया गया।
सम्मान पाने वाले पशुपालक व उद्यमी
भवानंद-प्रगतिशील किसान, गांव- गुलडीह, जमुई, छमेश्वर प्रसाद मंडल-मत्स्यपालक, किशनगंज, अजंता भूमिज डेयरी- संपतचक, पटना, अमित कुमार- इंटीग्रेटेड फार्मिंग, फुलवारीशरीफ, फतेहपुर, ढिबड़ा पंचायत, पटना, शैलेंद्र मोहन झा- जैनपुर, रविन्द्र कुमार- जैनपुर, पटना।
उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक पुरुस्कृत
वहीं इस अवसर पर शिक्षण, अनुसंधान, आनलाइन टीचिंग, कोविड कंट्रोल प्रोग्राम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को पुरुस्कृत किया गया। जिनमे आनलाइन पठन-पाठन में उत्कृष्ट योगदान के लिए: डॉ. रमेश कुमार तिवारी, सहायक प्राध्यापक, डॉ . पंकज कुमार सिंह, सहायक प्राध्यापक, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय, डॉ. संजीव कुमार, सहायक प्राध्यापक, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय
म्बोयो ट्रान्सफर तकनीक के तहत उत्कृष्ट कार्य करने वाले वैज्ञानिक: डॉ. शैलेन्द्र कुमार शीतल, सहायक प्राध्यापक, डॉ. प्रमोद कुमार, सहायक प्राध्यापक, डॉ . अजीत कुमार , सहायक प्राध्यापक, डॉ. सीएस आजाद, सहायक प्राध्यापक, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय
कोविड कंट्रोल प्रोग्राम में योगदान के लिए: डॉ . पंकज कुमार, सहायक प्राध्यापक, डॉ. अजित कुमार, सहायक प्राध्यापक, परजीवी विज्ञान विभाग, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय शामिल रहे।

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