November 29, 2025

पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने जीता ब्रॉन्ज मेडल, स्पेन को 2-1 से हराकर पक्का किया लगातार दूसरा ओलंपिक पदक

नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक 2024 में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की, जब उन्होंने स्पेन को 2-1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इस जीत के साथ, भारतीय टीम ने लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीतने का गौरव प्राप्त किया। टीम इंडिया ने स्पेन को 2-1 से हराया। दोनों गोल कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने किए। वे 10 गोल के साथ टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर भी हैं। ओलिंपिक का यह ब्रॉन्ज मेडल मैच गोलकीपर श्रीजेश का आखिरी इंटरनेशनल मुकाबला था। उन्होंने ओलिंपिक से पहले ही अपने संन्यास का ऐलान कर दिया था। श्रीजेश ने ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में 11 पेनल्टी कॉर्नर सेव किए थे। यह मैच पेनल्टी शूटआऊट में गया था, इसमें भी उन्होंने 2 शानदार सेव किए थे। इंडियन टीम ने ओलिंपिक में लगातार दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीता है। टोक्यो में इंडिया ने जर्मनी को हराकर ब्रॉन्ज जीता था। भारत ने 52 साल बाद लगातार दो ओलिंपिक गेम्स में हॉकी का ब्रॉन्ज जीता है। इससे पहले भारतीय हॉकी टीम ने 1968 और 1972 के ओलिंपिक में लगातार दो मेडल जीते थे। मैच की शुरुआत से ही भारतीय टीम का प्रदर्शन आत्मविश्वास से भरा हुआ था। पहले क्वार्टर में ही टीम ने तेज आक्रमण करना शुरू कर दिया और विपक्षी स्पेनिश टीम पर दबाव बनाया। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत को जल्द ही एक पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिसे भारतीय टीम के अनुभवी ड्रैग-फ्लिकर ने गोल में तब्दील कर दिया।स्पेन ने भी हार मानने का नाम नहीं लिया और दूसरे क्वार्टर में खेल में वापसी करने की कोशिश की। उन्होंने भी एक शानदार मूव बनाकर भारत के गोलकीपर को चकमा देते हुए मैच में बराबरी का गोल दागा। हालांकि, भारतीय डिफेंस ने स्पेन के कई खतरनाक हमलों को विफल करते हुए खेल को संतुलन में बनाए रखा। तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम ने एक बार फिर आक्रमण में तेजी लाई और स्पेनिश डिफेंस पर दबाव बनाए रखा। अंततः, भारतीय फॉरवर्ड्स की कोशिशें रंग लाई और उन्होंने एक और गोल कर टीम को 2-1 की बढ़त दिलाई। इसके बाद, भारतीय टीम ने रक्षात्मक खेल दिखाते हुए स्पेन को बराबरी करने का कोई मौका नहीं दिया। मैच के अंतिम क्षणों में स्पेन ने बराबरी करने के लिए हरसंभव प्रयास किए, लेकिन भारतीय गोलकीपर और डिफेंस की उत्कृष्टता ने उन्हें सफलता से दूर रखा। जैसे ही अंतिम सायरन बजा, भारतीय टीम ने अपनी ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाया। यह जीत भारतीय हॉकी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पिछले ओलंपिक में भी भारतीय टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था, और इस बार फिर से पदक हासिल करना यह दर्शाता है कि भारतीय हॉकी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पा रही है। इस सफलता का श्रेय टीम के खिलाड़ियों के साथ-साथ कोचिंग स्टाफ और पूरे सपोर्ट स्टाफ को जाता है, जिन्होंने टीम को इस मुकाम तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।यह पदक भारतीय हॉकी के लिए एक नई शुरुआत की तरह है। इस जीत से भारतीय हॉकी में एक नया जोश और उत्साह पैदा हुआ है, और यह आने वाले समय में भारतीय हॉकी के उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करता है। यह सिर्फ एक पदक नहीं है, बल्कि एक प्रेरणा है जो भारतीय खिलाड़ियों को और भी बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी।भारतीय हॉकी टीम की इस शानदार जीत ने न केवल देशवासियों को गर्वित किया है, बल्कि युवा खिलाड़ियों के लिए भी एक आदर्श स्थापित किया है। यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी जो भारतीय हॉकी को नए शिखरों तक पहुंचाने का सपना देखते हैं।

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