हिंदूवादी संगठनों पर नीतीश कुमार के वक्रदृष्टि,राज्य भर में खंगाली जा रही है आरएसएस एवं सहयोगियों की कुंडली।

पटना।बिहार में उग्र हिंदुत्व एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘टारगेट’ पर दिख रहा है।सांप्रदायिकता को देश के लिए ‘गंभीर’ खतरा मानने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने प्रदेश में सांप्रदायिक गोलबंदी को लेकर शायद चिंतित है।संभवत मुख्यमंत्री के इस आशय को लेकर ही बिहार पुलिस की विशेष शाखा प्रदेश भर में फैले हुए आरएसएस के सभी शाखा-नेता एवं आरएसएस के सहयोगी संगठनों से जुड़े नेता-कार्यकर्ताओं के बारे में विशेष जानकारी जुटा रही है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के आरएसएस नेताओं और उसके अनुषांगिक संगठनों के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं।दरअसल, बिहार की स्पेशल ब्रांच का एक आदेश इन दिनों सुर्खियों में है।स्पेशल ब्रांच की इंटेलिजेंस विंग ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके अनुषांगिक संगठनों के राज्य पदाधिकारियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का आदेश दिया है। 28 मई यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के दो दिन पहले स्पेशल ब्रांच के एसपी द्वारा जारी किए गए एक पत्र में प्रदेश के आरएसएस पदाधिकारियों और 17 सहायक संगठनों की विस्तृत जानकारी निकालने के आदेश दिए गए थे।
विशेष शाखा की ओर से जारी आदेश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण सम्नयव समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वेदशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू पुत्र संगठन के पदाधिकारियों का नाम और पता मांगा गया है।
नीतीश सरकार के इस कदम से बिहार में भाजपा जदयू के संबंधों पर क्या असर पड़ता है।यह तो दूर की बात है।मगर फिलहाल भाजपा या सोचने पर मजबूर हो गई है कि आखिर इस ‘चाल’ के पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की वास्तविक योजना क्या है?

About Post Author

You may have missed