December 11, 2025

केजरीवाल ने खुद को बताया नोबेल पुरस्कार का हकदार, कहा- रोक और मुश्किलों के बाद भी दिल्ली में सुशासन का काम किया

मोहाली। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान बड़ा बयान देते हुए कहा कि उन्हें शासन और प्रशासन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। यह टिप्पणी उन्होंने पंजाब के मोहाली में आयोजित एक किताब विमोचन कार्यक्रम के दौरान की।
‘केजरीवाल मॉडल’ के पंजाबी संस्करण का हुआ विमोचन
यह अवसर था आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता जैसमीन शाह द्वारा लिखित किताब ‘केजरीवाल मॉडल’ के पंजाबी भाषा में अनुवाद के विमोचन का। इस कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक यात्रा, प्रशासनिक संघर्षों और उपलब्धियों को साझा करते हुए केंद्र सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के साथ अपने टकराव का भी जिक्र किया।
नौकरशाह से राजनेता तक का सफर
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि किस तरह उन्होंने एक आरटीआई कार्यकर्ता और नौकरशाह के रूप में अपनी पहचान बनाई और फिर जनहित में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनका उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं था, बल्कि एक ऐसा मॉडल बनाना था जो सरकारी व्यवस्था को सुधारने की दिशा में काम करे।
दिल्ली सरकार के कामों का किया उल्लेख
कार्यक्रम में उन्होंने दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और सड़क जैसे मूलभूत सेवाओं में किए गए सुधारों को गिनाया। उन्होंने बताया कि कैसे सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाया गया, मोहल्ला क्लीनिक्स जैसे इनोवेटिव हेल्थ मॉडल शुरू किए गए, और बिजली-पानी की दरों में राहत दी गई।
काम करने में मिली बाधाओं की बात
केजरीवाल ने यह भी कहा कि जब-जब उनकी सरकार ने दिल्ली में कुछ अच्छा करने की कोशिश की, उन्हें केंद्र सरकार और उपराज्यपाल की ओर से अड़चनें दी गईं। इसके बावजूद उन्होंने जनहित में कार्य करना नहीं छोड़ा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इतने रोक के बावजूद अगर उन्होंने दिल्ली में इतने काम किए तो उन्हें तो गवर्नेंस और एडमिनिस्ट्रेशन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
भाजपा पर तीखा हमला
अपने संबोधन के दौरान केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा न तो खुद काम करना चाहती है, न ही दूसरों को करने देना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की मंशा सिर्फ सत्ता पर नियंत्रण बनाए रखने की होती है, न कि जनहित में फैसले लेने की।
पूर्व में की थी भारत रत्न की मांग
गौरतलब है कि इससे पहले अरविंद केजरीवाल अपने दो सहयोगियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के लिए भारत रत्न की मांग कर चुके हैं। लेकिन यह पहली बार है जब उन्होंने खुद को किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए उपयुक्त बताया है।
एक नई सोच का प्रतिनिधित्व
अपने भाषण के अंत में केजरीवाल ने कहा कि उनका उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि देश में एक नई सोच विकसित करना है। उन्होंने कहा कि जब नीयत सही हो, तो सरकारी तंत्र में भी सुधार संभव है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर दिल्ली की सड़कों, बिजली और स्कूलों का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे इच्छाशक्ति और ईमानदारी से परिवर्तन लाया जा सकता है। अरविंद केजरीवाल के इस बयान से एक ओर जहां राजनीतिक हलचल मच गई है, वहीं यह भी स्पष्ट हो गया है कि वह खुद को शासन के क्षेत्र में एक प्रभावी मॉडल निर्माता मानते हैं। उनका उद्देश्य केवल राजनीति करना नहीं, बल्कि ऐसी व्यवस्था बनाना है जिससे आम आदमी को सीधे लाभ मिले। चाहे यह बयान आत्मप्रशंसा माना जाए या एक राजनीतिक संदेश, इससे यह तय है कि केजरीवाल ने एक बार फिर अपने कार्यों के जरिए सुर्खियों में जगह बना ली है।

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