70वीं बीपीएससी की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई टली, 7 मार्च को फिर मामला सुनेगी कोर्ट

पटना। पटना हाईकोर्ट में 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कर दोबारा परीक्षा आयोजित कराने की मांग पर सुनवाई एक बार फिर टल गई है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी। यह मामला काफी समय से चर्चा में है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) पर परीक्षा में अनियमितता और धांधली के गंभीर आरोप लगाए हैं। हाईकोर्ट में पप्पू कुमार व अन्य अभ्यर्थियों द्वारा दायर जनहित याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं पर अब एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ सुनवाई करेगी। 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा को लेकर कई अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि परीक्षा में धांधली हुई है और इस कारण इसे रद्द कर दोबारा आयोजित किया जाना चाहिए। यह मामला पहले हाईकोर्ट की न्यायाधीश अरविंद सिंह चंदेल की खंडपीठ के समक्ष था, लेकिन अब इसे एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ को सौंप दिया गया है। इससे पहले यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया था। याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ताओं को पटना हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। इसके बाद अभ्यर्थियों ने फिर से पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की। पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में अब तक कोई फैसला नहीं दिया है, लेकिन परीक्षा के नतीजों को रोकने से इनकार कर दिया था। इसके बाद बिहार लोक सेवा आयोग ने 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया था। इस परीक्षा में कुल 3,28,990 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से 21,581 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। आयोग ने महज 45 दिनों में परीक्षा परिणाम जारी कर दिया था। हालांकि, परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर कई अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई थी और इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाए।याचिकाकर्ताओं का दावा है कि परीक्षा में पारदर्शिता नहीं थी और कुछ अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ दिया गया। वे चाहते हैं कि परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित किया जाए। अब इस मामले पर पटना हाईकोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ 7 मार्च को सुनवाई करेगी। अब देखना होगा कि कोर्ट इस याचिका पर क्या निर्णय लेता है। यदि याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला आता है, तो परीक्षा रद्द हो सकती है और दोबारा आयोजित करनी पड़ सकती है। वहीं, यदि हाईकोर्ट बीपीएससी के पक्ष में फैसला देता है, तो परीक्षा परिणाम वैध रहेगा और अगले चरण की प्रक्रिया जारी रहेगी।
