छह घंटे तक लावारिस पड़ा रहा हार्डवेयर दुकानदार का शव, पास में रोते रही पांच साल की बच्ची

फुलवारी शरीफ । पटना में कोरोना से हो रही मौतों के बीच मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है जहां राम कृष्णा नगर थाना के एनटीपीसी कॉलोनी के पास मधुबन कॉलोनी रोड नंबर पांच में जगपति देवी के मकान में किराये में रहने वाले हार्डवेयर कारोबारी 40 वर्षीय प्रभात कुमार का शव करीब 6 से 7 घंटे तक पड़ा रहा। इस दौरान उसकी मदद के लिए कोई नहीं पहुंचा जबकि वहां मौजूद उनकी पांच साल की बेटी राधा रानी का रोते-रोते आंसुओं की धार भी सूख चुकी थी। हार्डवेयर कारोबारी प्रभात कुमार की मौत कोरोना से हुई या किसी अन्य कारणों से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। लेकिन घंटों तक पिता के शव के पास बिलखती पांच साल की बच्ची को दिलासा देना तो दूर कोई पानी पिलाने वाला भी नहीं फटका ।

बताया जाता है कि इस लोमहर्षक घटना की जानकारी दरियापुर भीलवाड़ा पंचायत की मुखिया नीतू देवी के पति व सामाजिक कार्यकर्ता रॉकी कुमार उर्फ रॉकी मुखिया को मिली इसके बाद उन्होंने मीडिया को जानकारी दी। रॉकी ने बताया कि उसे मकान मालिक संतोष ने घटना के बारे में बताया और शव को यहां से ले जाने में मदद की गुहार लगाई।

इसके बाद मीडिया से जानकारी मिलते ही फुलवारी शरीफ के माले विधायक गोपाल रविदास ने घटनाक्रम की जानकारी देते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को जमकर फटकार लगाते हुए घटना स्थल पर बुलाया। विधायक की मौजूदगी में रामकृष्ण नगर थाना और जिला प्रशासन की टीम वहां पहुंची और मृतक के शव को ले जाने का प्रबंध किया गया। रामकृष्णा नगर प्रभारी थानाध्यक्ष शम्भू सिंह ने बताया कि सूचना मिलने पर सरकारी एम्बुलेंस को शव उठाने को कहा गया था लेकिन कोई नही पहुंचा । कोरोना कंट्रोल को कई बार पुलिस ने एम्बुलेंस भेजने को कहा लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला।
वहीं मौके पर मौजूद मकान मालिक मनोहर के छोटे भाई संतोष कुमार ने बताया कि सब्जी पर लोड पटना मेंं हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले प्रभात कुमार उनके मकान के ऊपरी तल में किराए में रहते थे। उनकी पत्नी उनके साथ नहीं रहती है लेकिन उनके साथ उनकी एक मात्र पांच साल की बेटी राधा रानी ही रहती है। सुबह में 10-11 बजे के करीब देखा गया कि उनके कमरे की खिड़की खुली हुई है और उनका मृत शरीर कमरे में पड़ा है । प्रभात कुमार का चेहरा काला पड़ चुका था। इसकी जानकारी रामकृष्ण नगर थाना को देने के बाद भी पुलिस नहीं पहुंच सकी।

संतोष ने बताया कि मृतक के कंकड़बाग कालोनी में रहने वाले भाई और पटना के अन्य इलाके में रह रहे बहन व दूसरे परिजनों को भी सूचना दी गई लेकिन कोई वहां नहीं पहुंचा। सभी लोगों को कोरोना से मौत का भय सता रहा था इस कारण कोई परिजन लाश को छूने के लिए भी नहीं आना चाहता था। यहां तक की मकान मालिक और आसपास के लोगों ने भी मृत पड़े प्रभात की बेटी का हाल नहीं लिया। पत्रकार अजीत कुमार की सूचना पर फुलवारी विधायक गोपाल रविदास वहां पहुंचे तो कमरे में प्रभात कुमार के शव के पास बच्ची को देखने वाला कोई नहीं था ।

यह मार्मिक दृश्य देख विधायक भावुक हो गए। इधर विधायक को देख बिलखती बच्ची की आंखें भी मददगार समझ चमक उठी। मोबाइल से अपनी तस्वीरें खींचता देख मासूम को कतई अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि उसके जिंदगी के बदकिस्मती के पलों को कैमरे में कैद किया जा रहा है । उसकी मां का साथ तो काफी पहले ही छूट गया था और पालने संवारने वाले पिता का साया भी इस कोरोना काल ने सदा के लिए छीन लिया था। अब सबसे बड़ा सवाल सामने था की कल तक बाप के साये में पलने वाली मासूम का अब कौन सहारा बनेगा और इस घड़ी में उसे किसके हवाले किया जाए। इस बारे में पुलिस ने वरीय अधिकारियों को खबर देने की बात कही।

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