सरकार के शिक्षा से जुड़े सभी दावों की पोल खोलता पूर्णिया का यह सरकारी स्कूल : पढने को भवन नही; चटाई लाकर जमीन पर बैठ पढाई करते हैं बच्चे

पूर्णिया। बिहार में वर्तमान में नीतीश कुमार की सरकार शिक्षा से जुड़े बड़े-बड़े दावे करती हुई नजर आती है। अपने हर भाषण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते 17 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अपने सुधारों का जिक्र करना नहीं भूलते हैं। पर आज भी जमीनी हकीकत सरकार के दावों से उलट दिखाई देती है। आज भी ग्रामीण इलाके के कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां पर शिक्षा की व्यवस्था तो छोड़िए स्कूलों में पढ़ने के लिए बेंच तक भी बच्चों को उपलब्ध नहीं कराया जाता। इसी कड़ी में बिहार के पूर्णिया जिले के वार्ड-14 हाउसिंग कॉलोनी स्थित प्राथमिक विद्यालय है जो मुंह चिढ़ाकर सरकारी व्यवस्था का मजाक उड़ा रहा है। हाउसिंग कॉलोनी स्थित प्राथमिक विद्यालय की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। यह स्कूल सिर्फ सरकारी कागज पर मौजूद है, धरातल पर नहीं। स्कूल को अपना भवन तक उपलब्ध नहीं है। सरकार ने स्कूल की घोषणा कर दी लेकिन पढ़ने के लिए भवन बनाना शायद भूल गए।
एक ही रूम में होती है पांच तक की पढाई
स्कूल के प्रधानाध्यापक भूपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल भवन नहीं होने से करीब 4 वर्षों तक तो पेड़ के नीचे छात्रों को पढ़ाया। उसके बाद स्कूल के शिक्षकों ने अपने खर्च से टीना का शेड बनाकर क्लास रूम बनाया और बच्चों को पढाने लगे। टीना के तपती हुई गर्मी में भी बच्चे पढते है। स्कूल में शिक्षकों ने अपने खर्च से पंखे लगवाए थे लेकिन वह भी चोरी हो गई। इस प्राथमिक विद्यालय में पांच कक्षा तक की पढाई होती है। दो शिक्षक व दो शिक्षिका भी है। यहां तक कि स्कूल में 200 छात्र भी है। लेकिन अलग-अलग रूम नहीं होने से सभी कक्षा की पढाई एक ही रूम में होता है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के रजिस्टर में दर्ज है। यहां तक कि 28 कट्ठा जमीन भी उपलब्ध कराया गया है। भवन निर्माण के लिए पत्र लिखा गया। वही इसके साथ बच्चों को बैठने और पढने के लिए बेंच डेस्क तक उपलब्ध नहीं। बच्चे खुद घर से बैठने के लिए चटाई लाकर निचे जमीन पर बैठकर पढाई करते हैं। यहां तक स्कूल में दो साल से विकास अनुदान बंद है।

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