बिहार में बाढ़ से लड़ने को तैयार सरकार, गंडक नदी का होगा विस्तृत सर्वे, विभाग का आदेश जारी

पटना। बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए नीतीश सरकार अब सक्रिय मोड में आ गई है। विशेषकर गंडक नदी की लगातार बिगड़ती स्थिति और बढ़ते जलस्तर को देखते हुए राज्य सरकार ने इसके सम्पूर्ण भू-भाग का विस्तृत सर्वे कराने का निर्णय लिया है। जल संसाधन विभाग ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, गंडक नदी के नेपाल सीमा से सटे वाल्मीकिनगर बराज से लेकर गंगा में संगम स्थल सोनपुर तक कुल 225 किलोमीटर लंबे क्षेत्र का तकनीकी सर्वे कराया जाएगा। इस सर्वेक्षण में नदी की वर्तमान प्रवाहधारा, तल में जमी गाद की मात्रा, तटबंधों की संरचनात्मक स्थिति और संभावित खतरे के बिंदुओं का बारीकी से अध्ययन किया जाएगा। बताते चलें कि वर्ष 2024 में गंडक नदी ने बीते दो दशक का रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारी जलस्राव दर्ज किया था। 28 सितंबर को जलस्राव का स्तर 5.62 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया, जो कि 2003 के बाद का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा था। स्थिति इतनी भयावह थी कि वाल्मीकिनगर बराज के सभी गेट खोलने के बावजूद पानी ऊपर से बहने लगा। इससे बराज की संरचना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। सरकार के अनुसार, बीते साल की बाढ़ में राज्य को करीब 512 करोड़ रुपये की क्षति हुई थी। 118 किलोमीटर से अधिक लंबाई में तटबंध क्षतिग्रस्त हो गए थे, जबकि कई अन्य जल संरचनाएं भी टूट गईं। विशेषज्ञों का मानना है कि नदी के तल में अत्यधिक मात्रा में गाद जमा होने से उसकी जलधारण क्षमता घट गई है, जिसके कारण अब मामूली बारिश में भी नदी उफान पर आ जाती है और निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाते हैं। जल संसाधन विभाग के अनुसार, गंडक नदी की स्थिति सुधारने के लिए जो नई योजना तैयार की जा रही है, उसमें तटबंधों को मजबूत करने, गाद निकालने, जलप्रवाह की दिशा नियंत्रित करने और आपात स्थिति में बेहतर जल प्रबंधन की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तकनीकी विशेषज्ञों की टीम जल नीति में आवश्यक संशोधन की भी सिफारिश कर सकती है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि गंडक नदी नेपाल से निकलती है और भारत में प्रवेश करते हुए बिहार के कई जिलों को प्रभावित करती है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय भी आवश्यक है। सरकार नेपाल सरकार से तकनीकी सहयोग और डाटा साझा करने की दिशा में प्रयासरत है। जल संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सर्वेक्षण का कार्य अत्याधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन मैपिंग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस आधारित प्रणाली से किया जाएगा। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ नियंत्रण के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार की जाएगी, जिससे राज्य के लाखों लोगों को हर साल आने वाली बाढ़ से राहत मिल सके। गौरतलब है कि बिहार का एक बड़ा हिस्सा हर वर्ष बाढ़ से प्रभावित होता है, जिससे जन-धन की भारी क्षति होती है। सरकार की इस पहल को बाढ़ नियंत्रण की दिशा में एक ठोस कदम के रूप में देखा जा रहा है।
