December 31, 2025

पटना में रिटायर्ड प्रोफेसर से ठगी करने वाला बंगाल से गिरफ्तार: 3 करोड़ करवाए थे ट्रांसफर, रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी पुलिस

पटना। पटना में साइबर ठगी का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने न केवल आम लोगों बल्कि पढ़े-लिखे और जागरूक वर्ग को भी झकझोर कर रख दिया है। नवंबर 2024 में कदमकुआं इलाके की रहने वाली एक रिटायर्ड महिला प्रोफेसर को ठगों ने इतनी शातिर तरीके से अपने जाल में फंसाया कि उन्होंने अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी गंवा दी। करीब तीन करोड़ रुपये की यह ठगी ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे नए साइबर हथकंडे के जरिए की गई थी। अब इस मामले में एक बड़ी कार्रवाई हुई है और मुख्य आरोपी को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया है।
क्राइम ब्रांच बनकर ठगों ने रचा जाल
ठगी की शुरुआत एक फोन कॉल से हुई, जिसमें जालसाजों ने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उन्होंने महिला प्रोफेसर को डराते हुए कहा कि उनके क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है और वह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। ठगों ने यह भी कहा कि अगर तुरंत सहयोग नहीं किया गया तो गिरफ्तारी तय है। इस डर को और पुख्ता करने के लिए फर्जी अरेस्ट वारंट भी भेजा गया, जिसे देखकर महिला पूरी तरह घबरा गईं।
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 48 घंटे की कैद
ठगों ने महिला को मानसिक दबाव में रखने के लिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ का सहारा लिया। उन्हें लगातार फोन और वीडियो कॉल पर निगरानी में रखा गया और कहा गया कि वे किसी से भी संपर्क नहीं करें। लगभग 48 घंटे तक महिला इस भ्रम में रहीं कि वह किसी बड़े कानूनी पचड़े में फंस गई हैं। इसी दौरान ठगों ने उनसे अलग-अलग बहाने बनाकर पैसे ट्रांसफर करवाए।
एफडी तुड़वाकर ट्रांसफर कराए तीन करोड़ रुपये
डर और दबाव के माहौल में महिला ने अपनी तीन फिक्स्ड डिपॉजिट तुड़वा दीं। इसके बाद ठगों के बताए गए अलग-अलग खातों में करीब तीन करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए गए। ठगी यहीं नहीं रुकी। इसके बाद जालसाजों ने आरबीआई के नाम पर एनओसी देने का बहाना बनाकर अतिरिक्त 7.50 लाख रुपये की मांग भी की। हालांकि इससे पहले ही मामला उजागर हो गया।
बेटे की कॉल से टूटा ठगों का जाल
इस पूरे घटनाक्रम का पर्दाफाश तब हुआ जब महिला के बेटे ने उन्हें फोन किया। बातचीत के दौरान मां की आवाज में डर और असहजता साफ झलक रही थी। बेटे को कुछ गड़बड़ होने का शक हुआ। काफी पूछने पर महिला ने पूरी कहानी बताई। इसके बाद परिवार को समझ आया कि यह कोई कानूनी कार्रवाई नहीं बल्कि साइबर ठगी का मामला है। बिना देर किए पटना साइबर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई।
एक साल की जांच के बाद गिरफ्तारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना साइबर पुलिस ने गहन जांच शुरू की। तकनीकी साक्ष्यों, बैंक ट्रांजैक्शन और कॉल डिटेल्स के आधार पर ठगों की कड़ियां जोड़ी जाती रहीं। इसी बीच पश्चिम बंगाल की कल्याणी साइबर पुलिस भी एक अन्य ‘डिजिटल अरेस्ट’ केस की जांच कर रही थी, जिसमें करीब एक करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। इस जांच के दौरान मुख्य आरोपी शुभम रॉय तक पुलिस पहुंची।
पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया मुख्य आरोपी
शुभम रॉय पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सरेमपुर इलाके का रहने वाला है। जब कल्याणी साइबर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और उसके रिकॉर्ड खंगाले, तो पता चला कि उसका संबंध पटना में हुई तीन करोड़ रुपये की ठगी से भी जुड़ा है। इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस गिरफ्तारी की जानकारी पटना पुलिस को दी।
पटना पुलिस करेगी रिमांड पर पूछताछ
चूंकि पटना में दर्ज मामला रकम और साजिश के लिहाज से कहीं बड़ा है, इसलिए पटना साइबर सेल की टीम आरोपी को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है। पुलिस जल्द ही शुभम रॉय को बिहार लाकर गहन पूछताछ करेगी। अधिकारियों को उम्मीद है कि पूछताछ के दौरान इस साइबर गिरोह के अन्य सदस्यों, उनके काम करने के तरीके और ठगी गई रकम के ट्रेल से जुड़ी अहम जानकारियां मिल सकती हैं।
अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की आशंका
पुलिस को आशंका है कि यह ठगी केवल एक या दो लोगों का काम नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा है, जो देश के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय है। कुछ सुराग अंतरराष्ट्रीय लिंक की ओर भी इशारा कर रहे हैं। अगर ऐसा साबित होता है, तो यह मामला और भी गंभीर हो जाएगा।
साइबर ठगी से सतर्क रहने की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि साइबर अपराधी अब नए-नए तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। पढ़े-लिखे और अनुभवी लोग भी इनके झांसे में आ सकते हैं। पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि किसी भी तरह के डराने वाले कॉल, फर्जी नोटिस या डिजिटल अरेस्ट जैसी बातों पर तुरंत भरोसा न करें और नजदीकी साइबर थाने से संपर्क करें। समय पर सतर्कता ही ऐसे अपराधों से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।

You may have missed