नालंदा के पूर्व सांसद विजय यादव का 90 वर्ष की आयु में निधन, मुख्यमंत्री ने जताया शोक

नालंदा/पटना। पूर्व सांसद विजय यादव का शनिवार को सोहसराय स्थित आवास पर लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे करीब 90 वर्ष के थें। भारतीय काम्युनिस्ट पार्टी में रहते नालंदा जिला से तीन बार सांसद और बिहारशरीफ से दो बार विधायक रह चुके थें। भारतीय काम्युनस्टि पार्टी से पहली बार 1980 में नालंदा लोकसभा से निर्वाचित हुए। इसके बाद दूसरी बार 1984 में लोकसभा का चुनाव जीतकर नालंदा का प्रतिनिधित्व किया। 1991 में एक बार फिर भारतीय काम्युनिस्ट पार्टी से ही लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। वे पेशे से वकील भी थें। बताया जा रहा है कि विजय यादव के एक मात्र का पुत्र का पूर्व में ही निधन हो चुका है। इनके दो पोता हैं। विजय यादव के निधन पर नालंदा में शोक की लहर दौड़ गई है। विभिन्न राजनीतिक दल के राजनेता इनके आवास पर पहुंच कर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहें हैं। नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार, जेडीयू के जिलाध्यक्ष मो। अरशद, नालंदा जिला के आरजेडी के प्रधान महासचिव सुनील यादव सहित कई राजनीतिक दिग्गजों ने शोक जताया।
पूर्व सांसद के निधन पर सीएम नीतीश ने जताया शोक
वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा के पूर्व सांसद विजय कुमार यादव के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व विजय कुमार यादव एक राजनेता एवं समाजसेवी थे। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
दो बार एमएलए और तीन बार सांसद रह चुके थे विजय यादव
नालंदा के पूर्व सांसद व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कद्दावर नेता रहे विजय यादव का जन्म ब्रिटिश शासन काल में 1929 ईस्वी में उस समय के पटना जिले वर्तमान में नालंदा जिले के बिहार शरीफ अनुमंडल के सोहसराय में हुआ था। लोगों का कहना है कि बचपन से ही मेधावी और कॉमनिस्ट विचारधारा से जुड़े रहे थे। 1967 से 1977 तक बिहार शरीफ से बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। उसके बाद 1980 के बाद 1984 में लगातार दो बार नालंदा लोकसभा के सदस्य रहे और फिर 1991 में हुए लोकसभा के चुनाव में फिर एक बार जीत दर्ज कराकर संसद में पहुंचे। वह जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता भी थें। जब तक विजय कुमार यादव शारीरिक रूप से स्वस्थ रहे नालंदा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा हालांकि 1996 के बाद एक बार फिर उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन उसमें उनको हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद नालंदा से धीरे-धीरे कम्युनिस्ट पार्टी का जनाधार समाप्त हो गया।

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