हैदराबाद के कबाड़ गोदाम में आग लगने से भीषण हादसा : बिहार के 11 मजदूर जिंदा जले, पीएम मोदी ने जताया शोक
पटना। हैदराबाद के भोईगुड़ा स्थित कबाड़ गोदाम में आग लगने से बिहार के 11 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई। छपरा जिले के रहने वाले 11 मजदूर जिंदा जल गये, जिससे उनकी दर्दनाक मौत हो गई। ये सभी मजदूर बिहार के छपरा के आजमपुरा गांव के रहने वाले थे और हैदराबाद में कबाड़ गोदाम में काम करते थे। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई है जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और तेलंगाना के सीएम केसी राव ने इस दर्दनाक हादसे पर दुख जताया है। और हैदराबाद अग्निकांड में मारे गये लोगों के आश्रितों को मुआवजे का भी ऐलान किया है। आग किस वजह से लगी अभी इसका पता नहीं चल पाया है। पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी है। वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हैदराबाद अग्निकांड में मारे गये मजदूरों की मौत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। साथ ही ये ऐलान किया है कि मृतक के परिजन को पीएमएनआरएफ की ओर से दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। वहीं तेलंगाना के सीएम केसी राव ने भी आग में जलने से बिहार के श्रमिकों की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की और मुख्य सचिव को घटना में मारे गए श्रमिकों के शवों को वापस लाने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
कबाड़ गोदाम में आग लगने से जलकर मरने वाले बिहार के सभी 11 मजदूरों का शव को बाहर निकाल लिया गया है। सभी मृतकों के शवों को अस्पताल में ले जाया गया है, जहां पर शवों का पोस्टमार्टम कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मौके पर पहुंची पुलिस और फायर कर्मियों ने आग पर काबू पा लिया है। हादसे में मरने वाले सभी 11 मजदूर बिहार के छपरा के रहने वाले थे। ये सभी छपरा के आजमपुरा गांव के रहने वाले थे। 1.5 साल पहले ही हैदराबाद में काम करने गए थे। मृतकों की पहचान शिकंदर, बिट्टू, दामोदर, चिंटू, राजेश, दीपक, पंकज, दिनेश, शिकंदर, राजेश के रूप में हुई है। सभी मृतकों की उम्र 25 से 30 साल के बीच है। पुलिस के मुताबिक कबाड़ गोदाम की पहली मंजिल पर 12 मजदूर सो रहे थे। अचानक भूतल पर आग लग गई। दरअसल मजदूरों के बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता भूतल में कबाड़ की दुकान के माध्यम से था जिसका शटर बंद था। जिसकी वजह से उन्हें भागने का मौका नहीं मिल पाया और 11 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई।