पटना में फर्जी रैपीडो ड्राइवर कर रहे लूटपाट, रात को बनाते हैं शिकार, पुलिस ने अपराधी को किया गिरफ्तार
पटना। शहर में बीते कुछ दिनों से रात का समय लोगों के लिए डर और चिंता का कारण बनता जा रहा था। खासकर रामकृष्णानगर, कंकड़बाग और आसपास के इलाकों में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही थीं, जिनमें रैपिडो बुकिंग के नाम पर लोगों को लूट का शिकार बनाया जा रहा था। शुरुआत में यह घटनाएं अलग-अलग लग रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे पुलिस और आम लोगों को यह समझ में आने लगा कि इसके पीछे एक खास पैटर्न काम कर रहा है।
रैपिडो बुकिंग के नाम पर जाल
शहरवासियों की दिनचर्या में ऐप आधारित सेवाएं अब आम हो चुकी हैं। लोग बिना ज्यादा सोचे-समझे रैपिडो जैसी सेवाओं पर भरोसा कर लेते हैं। इसी भरोसे का फायदा उठाकर अपराधी सक्रिय हो गए। पुलिस के अनुसार, आरोपी पहले रैपिडो बुकिंग के जरिए ग्राहक से संपर्क करता था। बाइक सवार ड्राइवर सामान्य दिखता था, जिससे किसी को शक नहीं होता था। जैसे ही ग्राहक बाइक पर बैठता या सुनसान जगह पर बुलाया जाता, पूरी कहानी बदल जाती।
सुनसान मोड़ पर शुरू होती थी लूट
वारदात का तरीका लगभग हर बार एक जैसा था। रात का समय, अंधेरी सड़क और कम आवाजाही वाला इलाका चुना जाता था। जैसे ही ग्राहक पूरी तरह अकेला और असहाय स्थिति में होता, आरोपी अचानक चाकू निकाल लेता। डर और धमकी के बीच मोबाइल फोन, नकदी और कभी-कभी डिजिटल वॉलेट तक खाली करवा लिया जाता। इसके बाद बाइक अंधेरे में गायब हो जाती और पीड़ित कुछ समझ पाता, उससे पहले सब खत्म हो जाता।
लगातार मिल रही थीं शिकायतें
रामकृष्णानगर, कंकड़बाग और फुलवारी शरीफ थाना क्षेत्रों से लगातार ऐसी शिकायतें पुलिस के पास पहुंच रही थीं। लोगों ने बताया कि रैपिडो बुकिंग के बहाने उन्हें लूटा गया। शुरुआत में पुलिस को यह समझने में समय लगा कि यह एक संगठित तरीका हो सकता है। लेकिन जब घटनाओं का तरीका और जगह एक जैसी पाई गई, तो पुलिस सतर्क हो गई और विशेष निगरानी शुरू की गई।
पुलिस की सक्रियता और गिरफ्तारी
शनिवार और रविवार की दरमियानी रात पुलिस को बड़ी सफलता मिली। फुलवारी शरीफ पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने अपना नाम सोनू कुमार बताया। उसकी उम्र लगभग 25 साल है और वह नालंदा जिले के सुंदर बिगहा का रहने वाला है। पुलिस के अनुसार, यह गिरफ्तारी लंबे समय से चल रही निगरानी और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर की गई।
आरोपी के पास से क्या-क्या बरामद हुआ
गिरफ्तारी के बाद जब आरोपी की तलाशी ली गई, तो कई अहम सबूत हाथ लगे। पुलिस ने उसके पास से लूटे गए मोबाइल फोन बरामद किए। इसके अलावा एक ऐसा मोबाइल भी मिला, जिसका इस्तेमाल फोन-पे के जरिए लूट की रकम ट्रांसफर करने में किया जाता था। दो एंड्रॉयड फोन, एक चाकू और वारदातों में इस्तेमाल की जाने वाली हीरो स्प्लेंडर बाइक भी जब्त की गई। इन सब चीजों से यह साफ हो गया कि आरोपी पेशेवर तरीके से अपराध कर रहा था।
गिरोह होने की आशंका
पुलिस का कहना है कि सोनू कुमार अकेला नहीं हो सकता। जिस तरह से वारदातें लगातार और योजनाबद्ध तरीके से की जा रही थीं, उससे यह आशंका है कि इसके पीछे एक पूरा गिरोह सक्रिय है। पुलिस अब आरोपी से गहन पूछताछ कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसके साथ और कौन-कौन लोग जुड़े हुए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इस गिरफ्तारी से पूरे नेटवर्क की परतें धीरे-धीरे खुलेंगी।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भरोसे का सवाल
इस घटना ने सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं सुनाई, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आंख मूंदकर भरोसा करने की आदत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐप आधारित सेवाएं जहां सुविधा और समय की बचत देती हैं, वहीं अपराधियों के लिए नए मौके भी पैदा करती हैं। आम लोग अक्सर यह मान लेते हैं कि ऐप से बुकिंग करने का मतलब पूरी सुरक्षा है, लेकिन यह मामला बताता है कि सतर्कता आज भी उतनी ही जरूरी है।
पुलिस की अपील और सुरक्षा सलाह
पटना पुलिस ने इस घटना के बाद लोगों से खास अपील की है। पुलिस का कहना है कि रात के समय सुनसान इलाकों में सफर करते वक्त अतिरिक्त सतर्कता बरतें। यात्रा की जानकारी परिवार या दोस्तों को जरूर दें। ऐप के जरिए आने वाले ड्राइवर की पहचान, बाइक नंबर और रूट की जानकारी साझा करें। अनजान और अंधेरी सड़कों से बचने की कोशिश करें और किसी भी संदिग्ध स्थिति में तुरंत पुलिस को सूचना दें।
शहरवासियों के लिए चेतावनी और उम्मीद
यह गिरफ्तारी शहरवासियों के लिए राहत की खबर जरूर है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है। पटना की सड़कों पर रातें अब भी चुनौतीपूर्ण हैं। मोबाइल की घंटी हर बार सुविधा का संकेत नहीं होती, कभी-कभी वह खतरे की आहट भी हो सकती है। पुलिस की सक्रियता से यह उम्मीद जरूर जगी है कि अपराधियों पर लगाम लगेगी। सोनू कुमार को न्यायिक प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है। पुलिस अब पूरे गिरोह का पर्दाफाश करने में जुटी है। यह मामला हमें याद दिलाता है कि डिजिटल दुनिया में सुविधा और खतरा साथ-साथ चलते हैं। सुरक्षा सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक को भी अपनी सतर्कता बनाए रखनी होगी। अगर पुलिस और आम लोग मिलकर सतर्क रहें, तो पटना की रातें फिर से सुरक्षित और शांत हो सकती हैं।


