मुजफ्फरपुर में एनसीईआरटी की नकली किताबों का भंडाफोड़, गोदाम में छापेमारी, 40 लाख से अधिक की किताबें जब्त

मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर जिले के मोतीझील स्थित एक गोदाम से नकली एनसीईआरटी किताबों का बड़ा भंडाफोड़ हुआ है। यह इलाका नगर थाना क्षेत्र में आता है और एसएसपी कार्यालय के पीछे की गली में स्थित है। पुलिस ने यहां छापेमारी कर लगभग 40 लाख रुपये से अधिक मूल्य की नकली किताबें जब्त की हैं। यह कार्रवाई कोलकाता से आई एनसीईआरटी की टीम की सूचना के आधार पर की गई, जिसमें बताया गया था कि बड़ी मात्रा में नकली किताबें यहां जमा की जा रही हैं और बिक्री के लिए वितरित भी की जा रही हैं।
गोदाम सील, संचालक गिरफ्तार
पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए शंकर पुस्तक भंडार के संचालक रवि कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। एसडीओ (पूर्वी) के निर्देश पर एक मजिस्ट्रेट की निगरानी में गोदाम को सील कर दिया गया है। नगर थाना अध्यक्ष शरत कुमार ने जानकारी दी कि एनसीईआरटी कंपनी के अधिकारियों द्वारा दिए गए आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें रवि कुमार को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
पटना से आती थी नकली किताबें
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इन नकली किताबों की आपूर्ति पटना से की जा रही थी। गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ में यह जानकारी मिली है, जिसके आधार पर मुजफ्फरपुर पुलिस अब पटना पुलिस के साथ मिलकर वहां छापेमारी की तैयारी कर रही है। यह भी पता चला है कि इन किताबों की सप्लाई केवल बिहार में ही नहीं, बल्कि झारखंड सहित अन्य राज्यों में भी की जा रही थी।
राजस्व को हो रहा था भारी नुकसान
नकली एनसीईआरटी किताबों की बिक्री से न केवल विद्यार्थियों और अभिभावकों को धोखा दिया जा रहा था, बल्कि सरकार को भी लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा था। असली किताबों की जगह नकली किताबें बेचकर संचालक भारी मुनाफा कमा रहे थे। यह एक गंभीर अपराध है जिसमें शिक्षा के अधिकार और गुणवत्ता को ठेस पहुंचाई जा रही है।
जांच में कई लोग और शामिल, कार्रवाई जारी
पुलिस का कहना है कि इस पूरे नेटवर्क में और भी कई लोग शामिल हैं, जिनकी पहचान की जा रही है। पुलिस की एक विशेष टीम मोबाइल कॉल डिटेल्स खंगाल रही है, ताकि नेटवर्क के सभी सदस्यों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही रवि कुमार की गैरकानूनी तरीके से अर्जित संपत्ति की भी जांच की जा रही है, ताकि जरूरत पड़ने पर उसकी संपत्ति को जब्त किया जा सके।
शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था की निगरानी और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एनसीईआरटी जैसी संस्थान की किताबों की नकली छपाई और आपूर्ति न केवल बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है, बल्कि यह कानून और नैतिकता का भी उल्लंघन है। यह आवश्यक है कि प्रशासन इस तरह के मामलों पर और भी सख्ती बरते ताकि दोबारा ऐसा घोटाला न हो।

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