प्रदेश में प्रतिबंधित अफीम की खेती पर एक्शन की तैयारी में इओयू, इन 3 जिलों में जल्द होगी कार्रवाई

पटना। राज्य के तीन जिलों में अफीम की खेती चोरी-छिपे होने से संबंधित मामले सामने आते रहे हैं। इसे लेकर आर्थिक अपराध इकाई के स्तर से तीन प्रभावित जिलों गया, औरंगाबाद और जमुई को खासतौर से ताकीद की गयी है। ताकि पहले से चौकसी बरतने के कारण इस बार इसकी खेती पर पूरी तरह से नकेल कसी जा सके। पिछले वर्ष से दो जिले औरंगाबाद और जमुई में अफीम की खेती काफी हद तक नियंत्रित हो गयी है, परंतु गया के बाराचट्टी और धनगई इलाकों में अफीम की खेती जंगल से घिरे इलाकों में काफी देखी जाती है। इसे इस बार पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए कहा गया है।
दिसंबर और मार्च के बीच होती है खेती
इसकी खेती मुख्य रूप से दिसंबर से मार्च के बीच होती है, लेकिन बरसात शुरू होते ही इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है। ऐसे में गये जिले को खासतौर से चौकसी बरतने के लिए कहा गया है। पिछले तीन वर्षों के दौरान सबसे ज्यादा गया जिले के इन्हीं दोनों इलाकों से अफीम की फसल नष्ट करने के मामले सामने आये हैं। वही इसके पहले वर्ष 2019-20 में 470 एकड़, 2020-21 में 584 एकड़ और 2021-22 में 620 एकड़ अफीम की फसल खेतों में जाकर प्रशासन ने नष्ट की है। इस अभियान में सीआरपीएफ की भी खासतौर से मदद ली जाती है। अफीम की ये फसलें एकदम घने जंगल के बीच लगायी जाती हैं। गया के इन इलाकों में इसे नक्सली संरक्षण देते हैं।
अफीम की खेती बना माओवादियों के आय का मुख्यस्रोत
नक्सलियों की आर्थिक स्थिति को सहारा देने में अफीम की खेती की भूमिका बेहद अहम है। ऐसे में इन फसलों को नष्ट करने पर नक्सलियों की ओपियम इकोनॉमी भी नष्ट हो जाती है। इस बार पुलिस मुख्यालय के स्तर से अफीम की खेती पर पहले से ही चौकसी बरतने के लिए कहा गया है। ताकि इसकी शुरुआत ही नहीं हो पाये।

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