November 12, 2025

मिर्जापुर में दर्दनाक हादसा, कालका एक्सप्रेस से कटे आठ श्रद्धालु, कई की मौत, स्टेशन में हड़कंप

मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में बुधवार सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। कालका मेल एक्सप्रेस की चपेट में आने से सात से आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा सुबह करीब साढ़े नौ बजे चुनार रेलवे स्टेशन पर हुआ, जब श्रद्धालु ट्रैक पार कर रहे थे। हादसे की खबर फैलते ही स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे। मौके पर पहुंची रेलवे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थिति को संभाला और घायलों को नजदीकी अस्पताल भेजा गया।
हादसे का सिलसिला कैसे शुरू हुआ
जानकारी के अनुसार, बुधवार सुबह चोपन से एक पैसेंजर ट्रेन चुनार रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 4 पर आई थी। इस ट्रेन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सवार थे जो कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र स्नान के लिए वाराणसी जा रहे थे। ट्रेन से उतरने के बाद ये श्रद्धालु प्लेटफार्म नंबर 3 की ओर जाने के लिए ट्रैक पार करने लगे। इसी दौरान दिल्ली से चलकर हावड़ा जा रही कालका एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर 3 के पास से गुजर रही थी। कालका एक्सप्रेस का उस स्टेशन पर कोई ठहराव नहीं था, इसलिए वह ट्रेन तेज गति से प्लेटफार्म को पार कर रही थी। श्रद्धालु ट्रैक पार कर ही रहे थे कि अचानक ट्रेन वहां पहुंच गई। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, वे ट्रेन की चपेट में आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन इतनी तेज थी कि कई लोगों के शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गए। हादसे के तुरंत बाद स्टेशन पर हड़कंप मच गया।
मारे गए श्रद्धालु और घायलों की स्थिति
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस हादसे में सात से आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। कई श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें रेलवे पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। घायलों का इलाज मिर्जापुर जिला अस्पताल और चुनार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है। मृतकों में ज्यादातर लोग सोनभद्र और चंदौली जिलों के रहने वाले बताए जा रहे हैं, जो कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए वाराणसी की ओर जा रहे थे। रेलवे प्रशासन ने अब तक आधिकारिक तौर पर मौत के आंकड़े की पुष्टि नहीं की है। रेलवे अधिकारियों ने कहा है कि मृतकों की पहचान की जा रही है और परिजनों को सूचित किया जा रहा है।
स्टेशन पर मचा हड़कंप
हादसे के बाद चुनार रेलवे स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल बन गया। कई यात्री हादसे के बाद बेहोश हो गए, तो कई महिलाएं बिलखती रहीं। मौके पर मौजूद पुलिस और रेलवे स्टाफ ने लोगों को शांत कराया। रेलवे अधिकारियों ने घटनास्थल पर तत्काल ट्रैफिक रोक दिया और ट्रेन की आवाजाही अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे के तुरंत बाद वहां का नजारा बेहद भयावह था। रेलवे पुलिस शवों के टुकड़े समेटकर पोस्टमार्टम के लिए भेज रही थी। कुछ यात्रियों के जूते, कपड़े और बैग ट्रैक पर बिखरे पड़े थे।
प्रशासन और रेलवे की प्रतिक्रिया
हादसे की जानकारी मिलते ही डीआरएम (डिविजनल रेलवे मैनेजर) वाराणसी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। रेलवे ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया और स्टेशन के दोनों ओर ट्रेनों की आवाजाही को नियंत्रित किया गया। अधिकारियों ने बताया कि यह हादसा ट्रैक पार करने के दौरान हुई लापरवाही का नतीजा है। श्रद्धालु रेलवे अंडरपास या ओवरब्रिज का उपयोग किए बिना ट्रैक पार कर रहे थे, जिससे यह त्रासदी घटी। डीआरएम ने कहा कि रेलवे लगातार यात्रियों को चेतावनी देता है कि प्लेटफार्म बदलने के लिए ट्रैक पार न करें, लेकिन इसके बावजूद लोग जोखिम उठाते हैं। उन्होंने बताया कि मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने पर विचार किया जा रहा है और घायलों का पूरा इलाज रेलवे की ओर से कराया जाएगा।
कार्तिक पूर्णिमा के स्नान से जुड़ा था सफर
यह हादसा ऐसे समय हुआ जब उत्तर भारत में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर और पटना जैसे धार्मिक स्थलों की ओर जाते हैं। बुधवार सुबह भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु चोपन, रॉबर्ट्सगंज और आस-पास के इलाकों से वाराणसी जा रहे थे। भीड़ के कारण ट्रेनें खचाखच भरी हुई थीं, और कई श्रद्धालु प्लेटफार्म पर ही यात्रा जारी रखने की तैयारी में थे।
प्रत्यक्षदर्शियों की आंखों देखी
हादसे के प्रत्यक्षदर्शी राजेश कुमार ने बताया कि “हमारी ट्रेन प्लेटफार्म 4 पर रुकी थी। कुछ लोग जल्दी में प्लेटफार्म 3 की ओर जा रहे थे। तभी अचानक जोरदार आवाज आई और कालका एक्सप्रेस गुजर गई। देखते ही देखते कई लोग ट्रेन की चपेट में आ गए। वहां चीख-पुकार मच गई।” एक अन्य यात्री ने कहा कि “रेलवे स्टेशन पर भीड़ बहुत ज्यादा थी और कोई सुरक्षा गार्ड या पुलिसकर्मी उस समय मौजूद नहीं था, जो लोगों को रोक सके।”
सुरक्षा और लापरवाही पर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चुनार स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ के बावजूद कोई स्पष्ट सुरक्षा प्रबंध नहीं था। स्टेशन पर अंडरपास और फुटओवर ब्रिज होने के बावजूद श्रद्धालु सीधे ट्रैक पार कर रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे को त्योहारों के समय अतिरिक्त सुरक्षा बल और घोषणाओं की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि इस तरह के हादसे रोके जा सकें। मिर्जापुर का यह हादसा एक बार फिर यह याद दिलाता है कि जरा सी लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है। कार्तिक पूर्णिमा जैसे धार्मिक अवसर पर लाखों लोग श्रद्धा और आस्था से गंगा स्नान के लिए निकलते हैं, लेकिन भीड़ और जल्दबाजी में कई बार सुरक्षा नियमों की अनदेखी कर बैठते हैं। रेलवे प्रशासन जहां इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार है, वहीं यात्रियों की सतर्कता भी जरूरी है। यह हादसा न केवल कई परिवारों के लिए गहरा सदमा बन गया है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि सुरक्षा के प्रति थोड़ी सी लापरवाही, कितनी बड़ी कीमत वसूल सकती है। फिलहाल जांच चल रही है और प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों की जिम्मेदारी तय कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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