December 8, 2025

दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में भूकंप, झटकों से हिली धरती, घरों से बाहर निकले लोग

नई दिल्ली। 10 जुलाई की सुबह दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के झटकों ने लोगों को डरा दिया। यह भूकंप सुबह करीब 9:04 बजे महसूस किया गया, जब अधिकतर लोग या तो अपने घरों से काम के लिए निकल चुके थे या फिर यात्रा में थे। भूकंप के झटके कुछ सेकेंड तक लगातार महसूस होते रहे, जिससे अचानक लोगों में अफरा-तफरी मच गई और लोग अपने घरों, दफ्तरों और इमारतों से बाहर निकल आए।
झज्जर रहा भूकंप का केंद्र
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4 मापी गई, जो सामान्यतः बहुत अधिक विनाशकारी नहीं मानी जाती। हालांकि इस भूकंप की खास बात इसकी गहराई थी। इसका केंद्र जमीन से मात्र 10 किलोमीटर नीचे था, जो इसे अधिक तीव्रता से महसूस किए जाने वाला बना देता है। यही वजह रही कि इसकी तीव्रता कम होते हुए भी झटके खासे तेज महसूस किए गए।
उत्तर भारत के बड़े इलाके में महसूस किए गए झटके
दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद जैसे घनी आबादी वाले शहरों में झटकों का असर देखा गया। इसके अलावा हरियाणा के सोनीपत, पानीपत, रोहतक, भिवानी और मानेसर तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। राजस्थान के जयपुर सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, सहारनपुर और हरिद्वार तक इस भूकंप का असर पहुंचा। दिल्ली-एनसीआर से लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में स्थित इलाकों में यह भूकंप स्पष्ट रूप से महसूस किया गया।
कोई नुकसान नहीं, लेकिन डर का माहौल
हालांकि अब तक जान-माल के किसी भी प्रकार के नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भूकंप के समय जो स्थिति बनी, वह लोगों को डरा देने वाली थी। ऊंची-ऊंची इमारतों और हाईराइज सोसायटियों में रहने वाले लोग तुरंत बाहर निकल आए। जिन लोगों ने भूकंप को महसूस किया, उन्होंने तुरंत अपने रिश्तेदारों और परिवारवालों को फोन कर उनकी कुशलता की जानकारी ली। भूकंप के झटकों के कारण कई जगहों पर कुछ देर के लिए कामकाज भी बाधित हुआ।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की संवेदनशीलता
यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए हों। यह इलाका भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन-4 में आता है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में ऊंची इमारतें और घनी आबादी है, जिससे यहां भूकंप का खतरा और भी अधिक हो जाता है। विशेषज्ञ बार-बार इस क्षेत्र में भवन निर्माण के मानकों को सख्ती से लागू करने की बात कहते रहे हैं ताकि किसी आपदा की स्थिति में जनहानि को टाला जा सके।
भविष्य की सावधानियों की ज़रूरत
इस घटना ने एक बार फिर लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस तरह से आपदा के समय सतर्कता और तैयारी जरूरी होती है। भूकंप चाहे जितना भी छोटा क्यों न हो, उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। लोगों को जागरूक करने, भवन निर्माण में सुरक्षा मानकों को लागू करने और आपदा प्रबंधन योजनाओं को मजबूत करने की जरूरत समय-समय पर सामने आती रहती है। इस बार भले ही किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई, लेकिन यह घटना एक चेतावनी के रूप में देखी जानी चाहिए।

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