October 29, 2025

पटना में स्नान के दौरान गंगा में डूबी किशोरी, लापता, एसडीआरएफ का तलाशी अभियान जारी

पटना। पटना जिले के नदी थाना क्षेत्र के अंतर्गत मौजीपुर गांव में एक दुखद घटना ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। बुधवार को 16 वर्षीय किशोरी ज्योति कुमारी गंगा नदी में स्नान के लिए गई थी, लेकिन अचानक उसका पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में डूब गई। यह घटना दोपहर के समय मौजीपुर घाट पर हुई, जब ज्योति अन्य ग्रामीणों की तरह ही सामान्य रूप से स्नान करने गई थी।
घटना का विवरण और प्रत्यक्षदर्शी का बयान
ज्योति कुमारी, जो राजेश कुमार की पुत्री थी, घर से अकेले स्नान करने के लिए निकली थी। प्रत्यक्षदर्शी विमल कुमार उर्फ टुनटुन के अनुसार, वह घाट के ज्यादा दूर नहीं गई थी और किनारे पर ही खड़ी थी। अचानक उसका संतुलन बिगड़ गया और वह गहरे पानी में समा गई। जैसे ही वह डूबने लगी, वहां मौजूद कुछ स्थानीय लोगों ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिशें विफल रहीं।
स्थानीय प्रशासन की सक्रियता
घटना की सूचना मिलते ही नदी थाना को अवगत कराया गया। थाना अध्यक्ष राजू कुमार अपनी टीम के साथ तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद फतुहा अंचल के अधिकारी और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम को भी सूचना दी गई। एसडीआरएफ की टीम कुछ ही देर में मौके पर पहुंची और उन्होंने नदी में तलाशी अभियान शुरू कर दिया।
एसडीआरएफ का राहत एवं खोज अभियान
एसडीआरएफ की टीमों ने गहरे पानी में गोताखोरों की मदद से खोजबीन शुरू की। थाना अध्यक्ष राजू कुमार ने बताया कि किशोरी की खोज के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। टीमें पूरी मुस्तैदी से डूबी हुई किशोरी को तलाशने में लगी हुई हैं, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। गंगा का बहाव तेज होने के कारण अभियान में कठिनाइयाँ भी आ रही हैं, फिर भी रेस्क्यू टीम हिम्मत नहीं हार रही है।
परिवार का दुख और गांव का माहौल
इस घटना से मौजीपुर गांव में गमगीन माहौल बन गया है। ज्योति के माता-पिता और अन्य परिजन सदमे में हैं और रो-रोकर बेहाल हो गए हैं। परिजनों की आंखें गंगा की लहरों को ताक रही हैं, मानो उन्हें अब भी अपनी बेटी के सकुशल वापस लौट आने की उम्मीद है। गांव में हर कोई इस दुख में परिवार के साथ खड़ा नजर आ रहा है।
सामाजिक और प्रशासनिक संदेश
यह हादसा न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी भी है। गंगा जैसे विशाल और गहरे जलस्रोतों पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था और घाटों की निगरानी बेहद जरूरी है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। स्थानीय प्रशासन को घाटों पर चेतावनी बोर्ड, सुरक्षा घेरा और गोताखोरों की तैनाती जैसी व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। यह दर्दनाक घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि आम जनता की सुरक्षा को लेकर कितनी सजगता बरती जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन न केवल इस मामले में संवेदनशीलता दिखाएगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम भी उठाएगा।

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