December 9, 2025

इंडिगो संकट पर पहली बार बोले पीएम, कहा- जनता को परेशान करने वाले नियम न बनाएं, यात्रियों को न हो परेशानी

नई दिल्ली। इंडिगो एयरलाइंस इन दिनों एक बड़े संचालन संकट का सामना कर रही है। तकनीकी खराबियों, उड़ानों में देरी और रद्द होने की लगातार बढ़ती घटनाओं ने देशभर के यात्रियों को भारी परेशानी में डाल दिया है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार इस मुद्दे पर टिप्पणी की है और स्पष्ट किया है कि सरकार का उद्देश्य कोई ऐसा नियम बनाना नहीं है जिससे जनता की मुश्किलें बढ़ें। प्रधानमंत्री का यह संदेश एनडीए सांसदों की बैठक में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा साझा किया गया।
प्रधानमंत्री का संदेश: नियम जनता की सुविधा के लिए बनें
बैठक में प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी नियम या नीति का उद्देश्य जनसामान्य के जीवन को सरल बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन को नियंत्रित और पारदर्शी बनाने के लिए नियम बनाए जाते हैं, इसलिए उन्हें ऐसा होना चाहिए कि लोग सहज रूप से प्रणाली का हिस्सा बन सकें, न कि परेशान हों। किरन रिजिजू के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि सिस्टम मजबूत हो, लेकिन यह मजबूती जन-हित के खिलाफ न जाए। इसलिए नीतियों के निर्माण में संवेदनशीलता और व्यवहारिकता दोनों का संतुलन जरूरी है।
इंडिगो संकट पर पीएम की प्रतिक्रिया
हाल के दिनों में इंडिगो की कई उड़ानों में तकनीकी खराबियां आईं, जिससे देशभर के हवाई अड्डों पर यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई लोग घंटों एयरपोर्ट पर फंसे रहे, जबकि कुछ की उड़ानें अचानक निरस्त कर दी गईं। यह स्थिति सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बनी रही। बैठक में प्रधानमंत्री ने इस संकट पर चिंता व्यक्त की और संबंधित विभागों को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उनका संदेश था कि यात्रियों को राहत देना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है और एयरलाइंस कंपनियों को अपने संचालन में कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
नियमों और नीतियों को लेकर पीएम का रुख
प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि नीतियों का ऐसा ढांचा होना चाहिए जो मजबूती के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण को भी समाहित करे। उन्होंने साफ किया कि नियम-कानून बनाना सिर्फ औपचारिक काम नहीं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालने वाली जिम्मेदारी है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हवाई यात्रा आज आम भारतीय की जरूरत बन चुकी है। इसलिए कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे यात्रियों को अतिरिक्त तकलीफ झेलनी पड़े।
इंडिगो पर बढ़ा दबाव और सरकारी सक्रियता
इंडिगो एयरलाइंस देश में सबसे बड़ी घरेलू उड़ान सेवा प्रदाता है, ऐसे में इसके संचालन में किसी तरह की दिक्कत का असर हजारों यात्रियों पर होता है। तकनीकी खराबी के मामलों के अलावा, रखरखाव और स्टाफ प्रबंधन से जुड़े सवाल भी उठ रहे हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अचानक इतना बड़ा संकट सामने आना संकेत देता है कि एयरलाइन के संचालन ढांचे में कुछ महत्वपूर्ण कमियां हैं। सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए संबंधित मंत्रालयों और विमानन प्राधिकरण को दिशा-निर्देश दिए हैं कि वे त्वरित समाधान सुनिश्चित करें। पीएम के हस्तक्षेप के बाद उम्मीद की जा रही है कि इंडिगो अपनी तकनीकी और संचालन क्षमता को जल्द सुधारने की दिशा में कदम उठाएगा।
यात्रियों की परेशानी को लेकर सरकार का रुख
प्रधानमंत्री के इस संदेश के बाद साफ है कि सरकार यात्रियों की समस्याओं को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखती है। हवाई यात्रा में सुरक्षा, समयबद्धता और पारदर्शिता बेहद महत्वपूर्ण तत्व हैं। इंडिगो संकट को लेकर यात्रियों में जो असंतोष दिखा, उसे देखते हुए यह जरूरी हो गया था कि सरकार सीधे इस पर अपनी बात रखे। रिजिजू के बयान से यह भी स्पष्ट हुआ कि प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि एयरलाइंस के संचालन और नियमों की समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति फिर न आए। इंडिगो के हालिया संकट ने देश के विमानन क्षेत्र की कई चुनौतियों को उजागर किया है। प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया न सिर्फ यात्रियों के प्रति संवेदना दिखाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकार किसी भी ऐसी स्थिति को हल्के में नहीं लेगी जो सीधे आम लोगों के जीवन को प्रभावित करे। आने वाले दिनों में उम्मीद है कि इंडिगो संकट पर सरकार और एयरलाइन मिलकर समाधान निकालेंगे और यात्रियों को सुचारु और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।

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