जदयू में उठी निशांत की एंट्री की मांग, पार्टी ऑफिस के बाहर लगा पोस्टर, लिखा- कमान संभाले भाई
पटना। बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया और रोचक मोड़ देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने की चर्चा अचानक तेज हो गई है। जदयू कार्यालय और पटना शहर में लगे पोस्टरों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। इन पोस्टरों में लिखा है—“नीतीश सेवक… मांगे निशांत… अब पार्टी की कमान संभालेंगे निशांत भाई।” यह संदेश साफ तौर पर इशारा करता है कि पार्टी के भीतर एक वर्ग चाहता है कि अब निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में प्रवेश करें।
पोस्टरबाजी से बढ़ी राजनीतिक गरमाहट
पिछले दो दशकों से नीतीश कुमार बिहार के राजनीतिक नेतृत्व में सबसे मुखर चेहरों में से एक रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनका परिवार हमेशा राजनीति से दूर रहा है। उनके बेटे निशांत कुमार ने कभी सार्वजनिक रूप से राजनीति में रुचि नहीं दिखाई। बावजूद इसके, उनके पोस्टर अचानक सामने आने से राज्य की राजनीति में कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं। जदयू दफ्तर और शहर के प्रमुख चौराहों पर लगाए गए इन पोस्टरों में निशांत को ‘पार्टी की कमान संभालने’ का आग्रह किया गया है। यह पहली बार है जब पार्टी से जुड़े लोगों की ओर से ऐसी सार्वजनिक मांग दिखी है।
क्या तैयार है जदयू नेतृत्व परिवर्तन के लिए?
पोस्टर सामने आने के बाद राजनीतिक विश्लेषक इसे जदयू के भविष्य से जोड़कर देख रहे हैं। कई नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार की उम्र और राजनीतिक यात्रा को देखते हुए पार्टी के भीतर भविष्य का नेतृत्व पहले से तय करने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसी कारण निशांत के नाम को उभारने की कोशिश दिखाई दे रही है। जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने भी इस चर्चा को और हवा दे दी है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता और समर्थक चाहते हैं कि निशांत कुमार पार्टी में आएं और काम करें। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट भी किया कि अंतिम निर्णय निशांत का ही होगा।
क्या नीतीश कुमार अपने बेटे को राजनीति में लाने के पक्ष में हैं?
अब तक यह स्पष्ट था कि नीतीश कुमार अपने बेटे को राजनीति से दूर रखना चाहते हैं। कई अवसरों पर खुद नीतीश कुमार ने कहा है कि उनके बेटे की राजनीति में रुचि नहीं है और वह अपनी अलग जिंदगी जीना पसंद करते हैं। निशांत संसदीय राजनीति से पूरी तरह अलिप्त रहे हैं। लेकिन पोस्टरों और पार्टी नेताओं के ताजा बयानों ने इस धारणा को बदलने की शुरुआत कर दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार अब अपने बेटे के भविष्य को लेकर कोई नया फैसला करने के विचार में हैं?
पोस्टरों में नीतीश की 10वीं शपथ का जिक्र भी
दिलचस्प बात यह है कि पोस्टर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनकी 10वीं शपथ के लिए बधाई भी दी गई है। इसके साथ ही संदेश में यह दावा भी है कि अब नेतृत्व की जिम्मेदारी निशांत को संभालनी चाहिए। इसे कई राजनीतिक विशेषज्ञ उस दिशा में पहला कदम मान रहे हैं, जहाँ पार्टी नेतृत्व में पीढ़ीगत परिवर्तन की शुरुआत की जा सकती है।
निशांत के आने से जदयू और बिहार की राजनीति में क्या बदलेगा?
यदि निशांत कुमार राजनीति में आते हैं, तो यह न केवल जदयू की संगठनात्मक संरचना बल्कि पूरे बिहार की राजनीति पर असर डाल सकता है। निशांत की छवि फिलहाल शांत और गैर-राजनीतिक रही है। उनके राजनीति में आने से जदयू के चेहरे में बदलाव आ सकता है और युवा वर्ग भी पार्टी से और जुड़ सकता है। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे ‘वंशवाद’ की ओर बढ़ते कदम के रूप में भी देख रहे हैं, जबकि नीतीश कुमार की राजनीति हमेशा वंशवाद के विरोध पर आधारित रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि निशांत का राजनीति में आना जनता द्वारा किस दृष्टि से देखा जाता है।
अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं, लेकिन संकेत मजबूत
फिलहाल निशांत कुमार की ओर से कोई बयान नहीं आया है। वे हमेशा मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं। लेकिन पार्टी नेताओं के बयान, कार्यकर्ताओं की मांग और शहर में लगे पोस्टर यह संकेत जरूर दे रहे हैं कि जदयू के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा सक्रिय हो चुकी है। पटना में लगे पोस्टरों ने स्पष्ट कर दिया है कि जदयू के एक बड़े वर्ग में निशांत कुमार को राजनीति में देखने की इच्छा प्रबल हो रही है। क्या यह नीतीश कुमार की सहमति से हो रहा है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में जदयू और बिहार दोनों की राजनीति में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं।


