December 8, 2025

लैंड फॉर जॉब मामले में फिर टला फैसला, 10 दिसंबर को अब सुनवाई करेगा कोर्ट

नई दिल्ली/पटना। लैंड फॉर जॉब घोटाले के चर्चित मामले में सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। इस सुनवाई का सभी राजनीतिक दलों, कानूनी विशेषज्ञों और आम जनता को लंबे समय से इंतजार था, क्योंकि इस मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और परिवार के कई सदस्य आरोपी हैं। हालांकि, अदालत ने चार्ज तय करने पर अपना फैसला फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। अब अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
कोर्ट ने दो दिन बाद फिर सुनवाई तय की
सोमवार की सुनवाई में अदालत ने चार्ज फ्रेमिंग यानी आरोप तय करने के मुद्दे पर तत्काल फैसला देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि मामले से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें अभी स्पष्ट नहीं हैं, इसलिए आरोप तय करने से पहले सीबीआई की अद्यतन स्थिति रिपोर्ट आवश्यक है। इसी क्रम में अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह सभी अभियुक्तों की स्थिति रिपोर्ट 10 दिसंबर की अगली सुनवाई में पेश करे। यह कदम बताता है कि न्यायालय मामले की जटिलता को देखते हुए किसी जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेना चाहता।
क्या है लैंड फॉर जॉब मामला?
यह मामला लालू यादव के केंद्रीय रेलमंत्री रहते हुए हुए कथित घोटाले से जुड़ा है। आरोप है कि रेल मंत्री के पद का दुरुपयोग करते हुए लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों ने कई लोगों से जमीन ली और बदले में उन्हें रेलवे में नौकरी दी। सीबीआई का कहना है कि— जमीन बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर ली गई, कई जमीनें परिवार के रिश्तेदारों या करीबी लोगों के नाम पर ट्रांसफर की गईं, और बदले में नौकरी पाने वालों को इस प्रक्रिया से फायदा पहुँचाया गया। इस मामले को प्रशासनिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार के एक बड़े उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
पहले भी टल चुका है फैसला
4 दिसंबर को भी अदालत ने इस मामले में आरोप तय करने का फैसला टाल दिया था। न्यायालय का कहना है कि प्रस्तुत किए गए तथ्यों और दस्तावेजों की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। अदालत का यह रुख साफ कर रहा है कि यह सिर्फ एक औपचारिक मामला नहीं है, बल्कि इसमें जटिल कानूनी पहलू शामिल हैं, जिन पर गंभीरता से विचार किया जाना आवश्यक है।
परिवार को राहत, लेकिन राजनीतिक सवाल बरकरार
चूंकि इस मामले में लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और परिवार के अन्य सदस्य आरोपी हैं, इसलिए आरोप तय होने की स्थिति उनके राजनीतिक करियर पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है। फिलहाल फैसला टलने से उन्हें अस्थायी राहत जरूर मिली है, लेकिन यह राहत कितनी स्थायी होगी, इसका फैसला अदालत की अगली कार्रवाई पर निर्भर करेगा। राजनीतिक हलकों में इस मामले को लेकर कई तरह की चर्चाएँ हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह सिर्फ आरोप हैं और सीबीआई पर राजनीतिक दबाव हो सकता है, जबकि अन्य इसे भ्रष्टाचार का गंभीर मामला मानते हैं।
अदालत की मंशा – मामले की गहराई से जांच
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इस मामले में न्याय तभी होगा जब सभी तथ्य पूरी तरह सामने आएँ। इसलिए सीबीआई को निर्देश दिया गया है कि वह नई जानकारी, दस्तावेज और अभियुक्तों की पूरी स्थिति रिपोर्ट कोर्ट को उपलब्ध कराए। इससे यह संकेत मिलता है कि अदालत आरोप तय करने से पहले पूरी तरह आश्वस्त होना चाहती है, ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया पारदर्शी और विश्वसनीय रूप से चल सके। 10 दिसंबर को सीबीआई अपनी अद्यतन स्थिति रिपोर्ट देगी। अदालत दस्तावेजों और रिपोर्टों का अध्ययन करेगी। और संभावित रूप से चार्ज फ्रेमिंग पर निर्णय ले सकती है। हालाँकि यह भी संभव है कि अदालत इसमें कुछ और समय ले, यदि उसे लगे कि अभी और जानकारी की आवश्यकता है।
लालू परिवार को फिलहाल मिली राहत
लैंड फॉर जॉब मामला एक बार फिर टल गया है, जिससे लालू परिवार को फिलहाल राहत मिली है। लेकिन मामले का राजनीतिक और कानूनी असर व्यापक है। अदालत का निर्णय यह स्पष्ट करता है कि वह किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले सभी तथ्यों की बारीकी से जांच करेगी। अब 10 दिसंबर की सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, जो तय करेगी कि आरोप तय होंगे या मामला एक बार फिर आगे की तारीख पर चला जाएगा।

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