मंत्रिमंडल विस्तार पर बिहार कांग्रेस का बड़ा दावा, प्रदेश अध्यक्ष बोले- उपमुख्यमंत्री के बिहार आते ही तय होगी तिथि

पटना। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद सुप्रीमो लालू यादव के बीच दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद अब बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार का रास्ता साफ हो गया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर शनिवार को बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बिहार आने के बाद राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की तिथि तय हो जाएगी। बिहार आने के बाद तेजस्वी की मुख्यमंत्री से मुलाकात होगी और उसके बाद सारी बातें तय कर ली जाएगी। अखिलेश ने दावा किया कि तेजस्वी यादव ने बोला है कि वे पटना आएंगे और मुख्यमंत्री से बात कर मंत्रिमंडल विस्तार की तिथि फाइनल कर ली जाएगी। वहीं बिहार में गठित बोर्ड और आयोग में कांग्रेस के नेताओं को शामिल नहीं करने पर अखिलेश ने कहा कि अभी सब कुछ समाप्त नहीं हुआ है। फिलहाल सिर्फ 7, 8 आयोग बना है। हम लोगों को भी जगह मिलेगा। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस को नजरअंदाज करके कोई कैसे मामला चल सकता है। इसीलिए हम आश्वस्त करते हैं कि कांग्रेस को उचित भागीदारी, उचित हिस्सेदारी मिलेगी। हालांकि अखिलेश ने यह नहीं बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी। मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट से लगाए गए स्टे आर्डर पर शनिवार को बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने खुशी व्यक्त की। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं के साथ लड्डू खिलाकर राहुल को मिली फौरी राहत पर हर्ष जताया। अखिलेश ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन उसे पराजित नहीं किया जा सकता है। कल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो गया कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जो देश में सरकार है, उनलोगों का षड्यंत्र का प्रयास काम नही आया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरात में तो किसी तरह मैनेजमेंट के आधार पर निर्णय करा दिया। लेकिन कल जिस तरह का सुप्रीम कोर्टमें माननीय न्यायाधीश ने जो कुछ कहा उसके बाद हम लोगों को कहने के लिए कुछ नहीं रहा जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से बार-बार यही पूछा गया था कि जिस केस में अधिकतम सजा का प्रावधान 2 साल हो उसमें 2 साल की ही सजा क्यों दी गई। इस बात को लेकर ना सिर्फ देश भर के कांग्रेस के लोग बल्कि देश भर के आम नागरिकों में भी परेशानी थी। इससे हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है।

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