मुजफ्फरपुर में एआई से साइबर ठगी: भाई की आवाज से 1.65 लाख रुपए मंगवाए, प्राथमिकी दर्ज
मुजफ्फरपुर। बिहार में साइबर अपराधियों ने एक बार फिर नई तकनीक का दुरुपयोग करते हुए एक व्यक्ति से 1.65 लाख रुपये की ठगी कर ली। यह मामला मुजफ्फरपुर जिले के बोचहां थाना क्षेत्र के भगवानपुर घोंचा गांव का है, जहां साइबर ठगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से पीड़ित के फुफेरे भाई की आवाज की नकल की और उसे धोखे में डालकर बड़ी रकम ऐंठ ली। पीड़ित मो. रेयाज अहमद द्वारा साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। घटना ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि अब साइबर क्राइम किस तेजी और गहराई से तकनीक का दुरुपयोग कर रहा है।
एआई तकनीक से तैयार की गई थी आवाज
पीड़ित रेयाज ने अपनी शिकायत में बताया कि उनका फुफेरा भाई सऊदी अरब में काम करता है। ठगों ने सोशल मीडिया पर उसके नाम से एक फर्जी आईडी बनाई और उसी के जरिए कॉल किया। कॉल करने वाले व्यक्ति ने अपने आपको उनका फुफेरा भाई बताया और आवाज इतनी समान थी कि रेयाज को जरा भी शक नहीं हुआ। साइबर अपराधियों ने एआई टूल का उपयोग करके फुफेरे भाई की आवाज हूबहू तैयार कर ली थी, जो किसी भी सामान्य व्यक्ति को भ्रमित कर सकती थी।
वीजा समाप्त होने का बहाना बनाकर ठगा गया पैसा
ठग ने बातचीत के दौरान रेयाज से कहा कि वह उसके खाते में साढ़े तीन लाख रुपये भेज रहा है। इसके लिए उसने रेयाज के बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी। कुछ ही देर बाद ठगों ने सौदी अरब के एक बैंक की नकली पर्ची भेज दी, जिसमें साढ़े तीन लाख रुपये जमा किए जाने का विवरण था। रेयाज को यह देखकर विश्वास हो गया कि उनके फुफेरे भाई ने वास्तव में पैसे भेज दिए हैं। इसके बाद उसी फर्जी आईडी से फिर मैसेज आया कि वह इमीग्रेशन ऑफिस जा रहा है क्योंकि उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है। ठग ने बताया कि उसका वीजा समाप्त होने वाला है और उसे तत्काल रिन्यू कराने की जरूरत है। इसके साथ ही एक एजेंट का नंबर भेजकर कहा गया कि उससे बात करके मदद करें। रेयाज को लगा कि उसका भाई किसी गंभीर समस्या में है, इसलिए वह घबरा गया और तुरंत एजेंट से संपर्क कर लिया।
एजेंट बनकर ठग ने वसूले 1.65 लाख रुपये
व्हाट्सएप पर संपर्क होने के बाद एजेंट बनकर बात कर रहे व्यक्ति ने कहा कि वीजा रिन्यू कराने में 1.65 लाख रुपये लगेंगे। उसने रेयाज को एक स्कैनर कोड भेजा और वही राशि उसमें डालने को कहा। भाई की मदद करने की जल्दी में रेयाज ने बिना सोचे-समझे 1.65 लाख रुपये उस कोड पर ट्रांसफर कर दिए। गौर करने वाली बात यह है कि एजेंट की बातचीत भी बहुत विश्वसनीय लग रही थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि साइबर ठग अब पहले से कहीं अधिक योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं और पीड़ितों के भावनात्मक पहलुओं का फायदा उठा रहे हैं।
ठगी का पता बाद में चला
पैसा भेजने के कुछ देर बाद रेयाज ने एहतियात के तौर पर अपने फुफेरे भाई को उसके मूल व्हाट्सऐप नंबर पर कॉल किया। वहां से मिली जानकारी के बाद उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। भाई ने बताया कि उसने न तो कोई कॉल किया है और न ही वह किसी परेशानी में है। तब जाकर रेयाज को पता चला कि वह बड़ी ठगी का शिकार हो चुका है।
साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज
घटना के दो दिन बाद रेयाज ने साइबर थाना पहुंचकर पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि ठगों ने एआई का उपयोग करके असली व्यक्ति की आवाज कैसे तैयार की और किस नेटवर्क के जरिए यह ठगी की गई। पुलिस इसके लिए डिजिटल ट्रेल खंगाल रही है और व्हाट्सएप, सोशल मीडिया अकाउंट्स और बैंक ट्रांजैक्शन की जांच कर रही है।
तकनीक के दुरुपयोग का बढ़ता खतरा
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि साइबर ठग किस तरह तेजी से नई तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं। पहले जहां साइबर अपराध केवल फर्जी लिंक, ओटीपी और बैंक कॉल तक सीमित थे, अब अपराधी एआई और वॉइस क्लोनिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सामान्य व्यक्ति आसानी से भ्रमित हो सकता है। एआई आधारित वॉयस क्लोनिंग से किसी भी व्यक्ति की आवाज को कुछ सेकंड के सैंपल से हूबहू तैयार किया जा सकता है। इस तकनीक का दुरुपयोग न केवल आर्थिक अपराधों में हो रहा है, बल्कि यह भविष्य में बहुत बड़े खतरे का रूप ले सकता है।
सावधानी ही सुरक्षा
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को सोशल मीडिया या व्हाट्सऐप पर आने वाली कॉल या मैसेज पर तुरंत भरोसा नहीं करना चाहिए, खासकर तब जब पैसे से जुड़े मामले हों। हमेशा वास्तविक नंबर पर सीधे संपर्क कर पुष्टि करनी चाहिए। स्कैनर कोड के माध्यम से पैसा भेजने से पहले व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करना आवश्यक है। मुजफ्फरपुर की यह घटना बताती है कि साइबर अपराधी अब भावनाओं और तकनीक—दोनों को साथ लेकर ठगी कर रहे हैं। एआई तकनीक का दुरुपयोग बढ़ रहा है और ऐसे में आम लोगों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। पुलिस जांच कर रही है, लेकिन सबसे बड़ी सुरक्षा जागरूकता ही है।


