बिहार की जातीय जनगणना पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज देगा फैसला, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली/पटना। बिहार में राज्य सरकार के तरफ से अपने खर्चे पर जाति आधारित गणना करवाई जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ इस गन्ना पर रोक लगवाने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर हाईकोर्ट को उज्जल फैसला देने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिया गया है। जिसके बाद मंगलवार को पूरे दिन इस मामले में मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इसके बाद अब इस मामले में आज भी सुनवाई जारी रहेगी। मंगलवार को पटना हाईकोर्ट में जाति आधारित गणना पर रोक लगाने पर दायर याचिका पर सुनवाई की गई। जिसमें राज सरकार की तरफ से कहा गया कि, यह गणना नेक नियत से लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कराया जा रहा है हाई कोर्ट में सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पीके शाही ने रखा। जबकि याचिकाकर्ता के तरफ से कहा गया कि, सरकार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जाति गणना के तहत लोगों का डाटा इकट्ठा कर रही है। यह नागरिकों की निजता के अधिकार का उल्लंघन है। अगर राज्य सरकार को ऐसा करने अधिकार है, तो कानून क्यों नहीं बनाया गया। जिसके जवाब में महाधिवक्ता पी के शाही ने कहा कि, संविधान के अनुच्छेद 37 के तहत राज्य सरकार का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह अपने नागरिकों के बारे में जानकारी प्राप्त करे, ताकि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाया जा सके। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील के तरफ से जब यह सवाल किया गया कि, धर्म, जाति और आर्थिक स्थिति समेत 17 बिंदुओं पर जानकारी जुटायी जा रही, जो किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी निजता के विपरीत है। किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता को उजागर और सार्वजनिक करना गैरकानूनी है।
जिसके जवाब में सरकार के वकील ने कहा कि, जाति से कोई भी राज्य अछूता नहीं है. जातियों की जानकारी के लिए पहले भी मुंगेरीलाल कमीशन का गठन हुआ था. मौजूदा समय में जातियों की अहमियत को कोई नकार नहीं सकता है। वहीं, कोर्ट ने महाधिवक्ता से जानना चाहा कि, जब दोनों सदन की सहमति थी तो कानून क्यों नहीं बनाया। इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि बगैर कानून बनाये भी राज्य सरकार को नीतिगत निर्णय के तहत गणना कराने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह एक सर्वे है और किसी को भी जाति बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा रहा है। लोग अपने स्वविवेक से इस सर्वे में भाग ले रहे हैं। बिहार में जनवरी 2023 में जातीय गणना की शुरूआत हुई थी। पहले चरण में मकानों की गिनती की गई। इसके बाद 15 अप्रैल को जाति गणना का दूसरा चरण शुरू हुआ, जिसके 15 मई तक पूरा होने के आसार हैं।