December 5, 2025

पटना की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने केजरीवाल को किया तलब, अदालत में पेश होने का दिया आदेश

पटना। बिहार की राजधानी, हाल ही में एक हाई-प्रोफाइल कानूनी मामले का केंद्र बनी है, जिसमें आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तलब किया गया है। पटना की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई विवादित टिप्पणी के संबंध में केजरीवाल को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है। यह मामला लगभग डेढ़ साल पुराना है, और इस पर अदालत में सुनवाई चल रही है। इस पूरे प्रकरण की शुरुआत अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई एक विवादित टिप्पणी से हुई। केजरीवाल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी को “अनपढ़” कहा था, जो कई लोगों के अनुसार, न केवल प्रधानमंत्री के संवैधानिक पद का अपमान था, बल्कि उनके समर्थकों की भावनाओं को भी ठेस पहुँची थी। इस बयान पर पटना के अधिवक्ता रवि भूषण प्रसाद वर्मा ने केजरीवाल के खिलाफ अदालत में परिवाद दायर किया था। शिकायतकर्ता का तर्क है कि मोदी एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं और उनकी आलोचना करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है, लेकिन उन्हें “अनपढ़” कहना प्रधानमंत्री और उनके समर्थकों के सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला बयान था। इसके अलावा, इस टिप्पणी से लाखों भारतीयों की भावनाएं आहत हुईं, जो मोदी को समर्थन देते हैं। याचिकाकर्ता ने केजरीवाल से इस बयान को वापस लेने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की थी, लेकिन केजरीवाल ने उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पटना की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट, जो सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई करती है, ने इस मामले में पहले भी केजरीवाल को समन जारी किया था। हालांकि, केजरीवाल अब तक अदालत में पेश नहीं हुए हैं। इस मामले की ताजा सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अब केजरीवाल को अदालत में उपस्थित होना अनिवार्य है। अदालत ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को भी निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करें कि केजरीवाल अगली सुनवाई में अदालत में पेश हों। अदालत के जज अमित वैभव ने सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केजरीवाल की गैर-हाजिरी अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी और उन्हें 16 नवंबर को अदालत में पेश होना ही होगा। यह ताजा निर्देश बताता है कि अदालत इस मामले को गंभीरता से ले रही है और केजरीवाल की उपस्थिति को अनिवार्य मान रही है। इस पूरे मामले में मुख्य कानूनी सवाल यह है कि क्या किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के बारे में की गई इस तरह की टिप्पणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आती है या नहीं। भारत में संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करके किसी संवैधानिक पद का अपमान किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल भारत के सबसे उच्च पदों में से एक पर आसीन हैं, बल्कि उनके समर्थक भी देशभर में व्यापक हैं। ऐसे में केजरीवाल का बयान उनके चाहने वालों की भावनाओं को आहत कर सकता है। यह मामला व्यक्तिगत मानहानि और सार्वजनिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का मिश्रण है, जिसमें संवैधानिक सीमाओं और नैतिकता का सवाल उठता है। अरविंद केजरीवाल का यह मामला केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव भी व्यापक है। केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता नई बात नहीं है। दोनों नेता अपनी-अपनी विचारधाराओं और नीतियों के कारण अक्सर आमने-सामने आते रहते हैं। लेकिन इस बार मामला अदालत तक पहुँच गया है, जिससे यह विवाद और भी गंभीर हो गया है। केजरीवाल के इस बयान को उनके राजनीतिक विरोधियों ने उनके खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे केजरीवाल की प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अनादर और उनकी राजनीतिक असहनशीलता का उदाहरण बताया है। पटना की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट द्वारा अरविंद केजरीवाल को तलब किया जाना एक महत्वपूर्ण कानूनी कदम है। यह मामला न केवल प्रधानमंत्री मोदी की गरिमा और उनके समर्थकों की भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि सार्वजनिक जीवन में व्यक्तिगत टिप्पणी की सीमाएँ क्या होनी चाहिए। कोर्ट के अगले निर्देश और केजरीवाल की अदालत में उपस्थिति इस मामले के भविष्य के लिए अहम होंगे।

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