इंडिया की मीटिंग पर बोली कांग्रेस, संविधान बचाने का आवाहन, जो आना चाहे आएंगे, जो अलग रहेंगे, वह नहीं आएंगे

नई दिल्ली। देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में विपक्षी एकता को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं। ऐसे में इंडिया अलायंस की प्रस्तावित बैठक से पहले आम आदमी पार्टी (आप) के अलग होने की घोषणा ने विपक्ष के इस गठबंधन को एक झटका जरूर दिया है। हालांकि कांग्रेस ने इस पर संयमित प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि जो आना चाहेंगे, वे आएंगे, जो अलग रहना चाहेंगे, वे नहीं आएंगे।
सभी दलों को आमंत्रण
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इंडिया अलायंस में शामिल सभी दलों को बैठक में हिस्सा लेने का आमंत्रण दिया गया है। बैठक आज शाम 7 बजे वर्चुअल मोड में होगी। इसमें संसद के मानसून सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों और एजेंडे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने साफ किया कि किसी पर कोई दबाव नहीं है और जो दल इस साझा मंच को मजबूत मानते हैं, वे जरूर साथ रहेंगे।
धार्मिक ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ाई
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज का दौर देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने का है। उन्होंने कहा कि देश को धार्मिक ध्रुवीकरण और चंद बड़े पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने से बचाने के लिए इंडिया अलायंस का मजबूत रहना बेहद जरूरी है। प्रमोद तिवारी ने साफ कहा कि चाहे कोई कितना भी कमजोर क्यों न पड़े, कांग्रेस अपने सिद्धांतों से पीछे नहीं हटेगी और आखिरी सांस तक लड़ाई जारी रखेगी।
आप ने ठहराया कांग्रेस को जिम्मेदार
उधर आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को अचानक इंडिया अलायंस से अलग होने की घोषणा कर दी। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह गठबंधन अपने उद्देश्य में विफल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी की वजह से इंडिया अलायंस में समन्वय नहीं बन पाया और विपक्ष एकजुट नहीं रह सका। संजय सिंह ने यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी।
दो साल पहले हुआ था गठबंधन का गठन
गौरतलब है कि इंडिया अलायंस का गठन जुलाई 2023 में हुआ था। इसका मकसद 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को कड़ी टक्कर देना था। इस गठबंधन में देशभर के लगभग तीन दर्जन विपक्षी दल जुड़े थे, लेकिन धीरे-धीरे अंदरूनी मतभेद और सीटों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर दलों के बीच टकराव सामने आता गया।
बैठक से ठीक पहले बड़ा फैसला
आप की तरफ से यह घोषणा ऐसे वक्त में की गई है जब एक दिन बाद ही इंडिया अलायंस की अहम बैठक होने जा रही थी। इससे पहले भी आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर कई बार बयानबाजी हो चुकी थी। अब आप ने खुले तौर पर गठबंधन से बाहर निकलने की घोषणा कर दी है और कांग्रेस पर ही इसकी विफलता का ठीकरा फोड़ा है।
कांग्रेस ने फिर दिया एकजुटता का संदेश
इन तमाम घटनाक्रमों के बावजूद कांग्रेस का कहना है कि जो दल भारत के संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई में साथ रहना चाहते हैं, उनके लिए दरवाजे खुले हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि विपक्षी एकता का उद्देश्य सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाना है, जिसे मौजूदा सरकार लगातार कमजोर कर रही है।
संसद सत्र में विपक्ष दिखाएगा दम
अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि मानसून सत्र में विपक्ष किस तरह सरकार को घेरता है। विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की तैयारी में हैं। हालांकि आप के बाहर निकलने से विपक्ष को कुछ नुकसान जरूर होगा, लेकिन कांग्रेस समेत अन्य दलों ने भरोसा जताया है कि वे मिलकर अपनी लड़ाई को और मजबूती देंगे।
जनता तय करेगी भविष्य
फिलहाल विपक्षी एकता को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं, लेकिन इसका असली जवाब जनता आने वाले चुनावों में देगी। आने वाले महीनों में बिहार चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में जनता तय करेगी कि विपक्ष के इन प्रयासों को कितना समर्थन मिलता है और कौन इस लड़ाई में कितना ईमानदार है।
