पटना में राजनाथ सिंह के कार्यक्रम में बवाल, अश्विनी चौबे को मंच पर नहीं मिली जगह, बीच कार्यक्रम छोड़कर निकले
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक बुधवार को पटना के ज्ञान भवन में आयोजित की गई। इस बैठक का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। हालांकि, कार्यक्रम के दौरान एक अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आया जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी।
मंच पर जगह न मिलने से नाराज दिखे अश्विनी चौबे
बैठक के आयोजन स्थल पर जैसे ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे, उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे भी नजर आए। लेकिन जब वे मंच पर पहुंचे, तो उन्हें मंच पर अपने नाम की कोई कुर्सी नहीं दिखाई दी। उन्होंने एक-एक करके कुर्सियों को देखा, लेकिन हर जगह पहले से अन्य नेता बैठे थे। ऐसी स्थिति में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे असहज हो गए और तेज़ कदमों से मंच से नीचे उतर गए।
कार्यक्रम से जल्दी चले गए बाहर
मंच से उतरने के कुछ ही समय बाद अश्विनी चौबे ने कार्यक्रम स्थल ही छोड़ दिया। जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि वे कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही क्यों चले जा रहे हैं और क्या उन्हें मंच पर कुर्सी नहीं मिली, तो उन्होंने हल्के अंदाज में जवाब दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है। वे सिर्फ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने आए थे और अब उन्हें गांधी मैदान में किसी कार्यक्रम में जाना है।
राजनीतिक गलियारों में उठे सवाल
हालांकि, चौबे के बयान के बावजूद यह घटनाक्रम राजनीतिक चर्चाओं का विषय बन गया है। एक ओर जहां यह सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी में आंतरिक मतभेद बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अश्विनी चौबे जैसे वरिष्ठ नेता के साथ इस तरह का व्यवहार भाजपा की अंदरूनी स्थिति पर सवाल खड़े कर रहा है।
बक्सर से लगातार दो बार के सांसद रह चुके हैं चौबे
अश्विनी कुमार चौबे ने 2014 और 2019 में बक्सर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। वे नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री भी रहे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और बक्सर सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। चौबे लंबे समय से भाजपा के एक प्रभावशाली और निडर नेता के रूप में पहचाने जाते रहे हैं।
नीतीश सरकार में भी निभाई थी अहम भूमिका
चौबे का राजनीतिक सफर काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। वे नीतीश कुमार की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। खास बात यह है कि जब नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच रिश्ते मधुर नहीं थे, तब भी अश्विनी चौबे ने बिहार में मोदी के पक्ष में खुलकर समर्थन किया था। यही नहीं, उन्होंने नीतीश सरकार में रहते हुए भी मोदी के लिए प्रचार किया था।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में संदेश
इस कार्यक्रम में चौबे के साथ हुआ घटनाक्रम महज एक भूल है या कोई संकेत, इस पर अभी स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि भाजपा के अंदर की रणनीतिक उठापटक और वरिष्ठ नेताओं की भूमिका को लेकर नए सिरे से मंथन शुरू हो चुका है। पटना में आयोजित भाजपा कार्यसमिति की बैठक में मंच विवाद ने संगठनात्मक समन्वय पर सवाल खड़े किए हैं। भले ही अश्विनी चौबे ने इसे सार्वजनिक रूप से नजरअंदाज करने की कोशिश की हो, लेकिन इस घटनाक्रम ने पार्टी के भीतर के हालातों को उजागर कर दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले ऐसे संकेत भाजपा के लिए चिंताजनक हो सकते हैं।


