नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का चिराग ने पत्र लिख कर प्रधानमंत्री मोदी का किया समर्थन

पटना। लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संसद भवन की नयी इमारत के उद्घाटन कार्यक्रम का समर्थन किया है और उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी है। वही चिराग ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री भेजे अपने पत्र में लिखा है की महोदय, लोकतंत्र में संसद एक पवित्र संस्था है। यहाँ देश की उन नीतियों पर फैसला होता है, जो सीधे जनता से जुड़ी होती है। भारत और भारतीयों के बेहतर भविष्य को निर्धारित करने में भारतीय संसद की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसे में 19 विपक्षी दलों द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन के विरोध के फैसले की मैं और मेरी पार्टी लोजपा (रा) घोर निंदा करती है। बता दे कि 28 मई, 2023 को नये संसद भवन का उद्घाटन होना तय हुआ है। ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा इस ऐतिहासिक पल के बहिष्कार का फैसला इस महान देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मान्यताओं पर हमला है। ऐसी महान संस्था के प्रति विपक्षी दलों द्वारा यह अनादर व अपमान लोकतंत्र की मूल आत्मा और मर्यादा पर कुठाराघात है। आगे उन्होंने कहा की अफसोस की बात यह है कि तिरस्कार और बहिष्कार की यह पहली घटना नहीं है। पिछले 9 सालों में देखें तो इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं-नियमों की अवमानना की है, सत्रों को बाधित किया है। महत्वपूर्ण विधायी कामों के दौरान सदन का बहिष्कार किया है। संसदीय फर्ज की अवहेलना की है। विपक्ष का संसदीय व्यवस्था, मर्यादा और लोकतांत्रिक शुचिता के प्रति यह तिरस्कारपूर्ण रवैया लगातार बढ़ रहा है। यह लोक स्मृति में दर्ज है कि इन विपक्षी दलों ने जीएसटी के विशेष सत्र का बहिष्कार किया था। जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने की थी।

उन्हें भारत रत्न दिये जाने के समारोह का भी बहिष्कार इन्हीं तत्वों ने किया। रामनाथ कोविंद जी के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर सामान्य शिष्टाचार और औपचारिकता निभाने में भी इन दलों को विलंब हुआ। वही इसके अलावा हमारे देश की वर्तमान राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू के प्रति इनका दिखाया गया अनादर राजनीतिक मर्यादा के निम्नस्तर पर पहुंच गया। उनकी उम्मीदवारी का घोर विरोध न केवल उनका अपमान था। बल्कि हमारे देश की अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का सीधा अपमान हुआ। हम यह नहीं भूल सकते कि संसदीय लोकतंत्र के प्रति विपक्ष के इस व्यवहार-तिरस्कार की जड़ें इतिहास में गहरी हैं। इन्हीं पार्टियों ने आपातकाल लागू किया, भारत के इतिहास की वह भयावह अवधि, जब नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया गया। अनुच्छेद 356 का लगातार आदतन दुरुपयोग, संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति विपक्ष की घोर अवहेलना व अवमानना को उजागर व प्रमाणित करता है। उन्होंने कहा की ऐसी पार्टियां कभी भी भारतीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती हैं। ये विपक्षी पार्टियां जो कर रही हैं, वह महात्मा गांधी, डॉ. बाबा साहब आंबेडकर, सरदार पटेल और देश की ईमानदारी से सेवा करने वाले ऐसे अनगिनत अन्य महापुरूषों के आदर्शों का अपमान है। जिन्होंने समर्पण-प्रतिबद्धता से देश निर्माण में संपूर्ण जीवन लगा दिया।

विपक्षी दलों के ये काम उन महान नेताओं के मूल्यों-योगदान को कलंकित करते हैं। जिन्होंने हमारे लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए अथक परिश्रम किया। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। यह वक्त हमें बांटने का नहीं, बल्कि एकता और हमारे लोगों के कल्याण के लिए एक साझा प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर है। हम विपक्षी दलों से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो भारत के 140 करोड़ लोग भारतीय लोकतंत्र और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के प्रति विपक्ष के इस घोर अपमान को नहीं भूलेंगे। महोदय आपके साथ रहते हुए या आपसे अलग होकर भी मैंने और मेरी पार्टी लोजपा(रा) ने जनहित में आपके द्वारा लिए गये हर फैसलों का मजबूती से साथ दिया है। नए संसद भवन का उद्घाटन यकीनन एक विकसित भारत की दिशा में आपके द्वारा उठाया गया मजबूत कदम है। जिसका मैं और मेरी पार्टी समर्थन करती है तथा विपक्ष को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करती है। इस ऐतिहासिक दिन के लिए मैं और मेरी पार्टी लोजपा(रा) की ओर से आपको बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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