सीएम नीतीश से मुलाकात करने मुख्यमंत्री आवास पहुंचे चिराग पासवान, एनडीए में सीट शेयरिंग पर हुई चर्चा

पटना। बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच राजनीतिक गतिविधियां तेज होती जा रही हैं। इसी क्रम में सोमवार सुबह एक बड़ी राजनीतिक घटना सामने आई, जब केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि यह ऐसे समय में हुई है जब बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए के भीतर चर्चा तेज हो गई है।
नीतीश-चिराग बैठक ने पकड़ा राजनीतिक तूल
मुख्यमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में चिराग पासवान के साथ उनके जीजा और जमुई से सांसद अरुण भारती भी मौजूद थे। वहीं, बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय चौधरी भी इस मुलाकात के दौरान वहां मौजूद रहे। सुबह-सुबह हुई इस गोपनीय मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक का केंद्रबिंदु आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर ही था।
एनडीए में रहते हुए स्वतंत्र पहचान की रणनीति
चिराग पासवान पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी लोजपा-रामविलास एनडीए का हिस्सा रहेगी, लेकिन वह अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान भी बनाए रखेगी। उनकी रणनीति साफ है कि एनडीए में रहकर भी वे अपनी पार्टी की ताकत को उजागर करना चाहते हैं ताकि सीट बंटवारे में उन्हें उचित हिस्सेदारी मिल सके। इसी कड़ी में लोजपा-रा पूरे बिहार में “बहुजन भीम संवाद” कार्यक्रम चला रही है, जिसका उद्देश्य दलित और पिछड़े वर्गों में पार्टी की पकड़ मजबूत करना है।
बहुजन भीम संवाद: शक्ति प्रदर्शन का माध्यम
यह संवाद कार्यक्रम सिर्फ सामाजिक संवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है। इन आयोजनों के माध्यम से चिराग पासवान यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पार्टी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भाजपा और जेडीयू जैसे एनडीए के बड़े घटक दलों पर एक सॉफ्ट दबाव बनाने की यह रणनीति है, ताकि चुनाव में सीटों के बंटवारे के दौरान उनकी पार्टी को वाजिब हिस्सेदारी मिले।
भाजपा के लिए बढ़ी चिंता
चिराग की यह दोहरी रणनीति भाजपा के लिए भी चिंता का कारण बन रही है। एक तरफ वे एनडीए में बने रहकर गठबंधन की एकता का संकेत देते हैं, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्र कार्यक्रमों के जरिए अपनी अलग राजनीतिक ताकत भी दिखा रहे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि अगर उन्हें गठबंधन में संतोषजनक जगह नहीं मिली, तो वे अगला कदम सोच-समझकर उठाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान की यह मुलाकात और उनकी राजनीतिक गतिविधियां चुनाव से पहले दबाव की राजनीति का हिस्सा हैं। वे एनडीए के भीतर रहते हुए अपनी bargaining power को मजबूत करना चाहते हैं। यह रणनीति उन्हें विधानसभा चुनाव में एक अहम किरदार के रूप में स्थापित कर सकती है। इस तरह चिराग पासवान की नीतीश कुमार से हुई मुलाकात और उनकी राजनीतिक सक्रियता ने बिहार की चुनावी राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। अब देखना होगा कि एनडीए के भीतर सीटों का बंटवारा किस तरह होता है और लोजपा-रा को इसमें कितनी हिस्सेदारी मिलती है।

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