पटना में घरेलू एलपीजी डिलीवरी में बड़ा बदलाव, ओटीपी बताना अनिवार्य, तभी मिलेगा सिलेंडर
पटना। राजधानी पटना में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की डिलीवरी से जुड़ी प्रक्रिया में हाल ही में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अब उपभोक्ताओं को सिलेंडर तभी मिलेगा, जब वे डिलीवरी के समय ओटीपी या डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड बताएं। बिना इस कोड के किसी भी परिस्थिति में सिलेंडर नहीं दिया जाएगा। यह नया नियम इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम—तीनों तेल कंपनियों द्वारा एक साथ लागू किया गया है।
डीएससी कोड क्या है और कैसे काम करता है
नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ता जब भी गैस की बुकिंग करेंगे, उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड प्राप्त होगा। यह कोड ओटीपी की तरह काम करेगा, जिसे डिलीवरी मैन को दिखाना अनिवार्य होगा। कोड मिलान होने के बाद ही उपभोक्ता को सिलेंडर सौंपा जाएगा। कंपनियों का कहना है कि डीएससी सिस्टम डिलीवरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा और गलत डिलीवरी की समस्याओं पर रोक लगाएगा। इस कदम के पीछे मुख्य कारण यह है कि अक्सर उपभोक्ता शिकायत करते थे कि उनके नाम से डिलीवरी दिखा दी जाती है, जबकि वास्तविक रूप से उन्हें सिलेंडर मिला ही नहीं। धोखाधड़ी के ऐसे कई मामले पिछले वर्षों में बढ़े हैं।
पटना में लाखों उपभोक्ताओं पर असर
पटना शहर में इस समय लगभग 16.65 लाख से अधिक घरेलू गैस उपभोक्ता हैं और करीब 70 गैस एजेंसियों के माध्यम से प्रतिदिन 4 से 5 हजार सिलेंडर घर-घर पहुंचाए जाते हैं। पूरे बिहार में 2.304 करोड़ से अधिक एलपीजी उपभोक्ता हैं, जिनमें से सबसे अधिक इंडियन ऑयल के ग्राहक हैं। इतनी बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को देखते हुए नई व्यवस्था का असर व्यापक रूप से दिखाई दे रहा है। डिलीवरी मैन अब बिना ओटीपी बताए किसी को भी सिलेंडर नहीं सौंपते, जिससे कई उपभोक्ताओं को शुरुआती परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
गलत डिलीवरी के मामलों में आएगी कमी
कंपनियों ने इस नियम को लागू करते हुए बताया कि कई एजेंसियों में यह समस्या सामने आती थी कि उपभोक्ता घर पर नहीं होते हुए भी उनके नाम पर डिलीवरी दर्ज हो जाती थी। कई बार डिलीवरी मैन गलत पते पर सिलेंडर दे देते थे या बिना बताए वापस ले जाते थे। उपभोक्ताओं के बीच इस प्रकार की गड़बड़ियां लगातार शिकायत का कारण बन रही थीं। ओटीपी की अनिवार्यता से यह सुनिश्चित होगा कि सिलेंडर सही व्यक्ति को ही मिले और डिलीवरी रिकॉर्ड में कोई गलती न हो।
उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानियां
नई व्यवस्था सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए भले ही जरूरी है, लेकिन इससे उपभोक्ताओं की कुछ दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। कई लोग नौकरी, व्यापार या अन्य कारणों से दिनभर घर से बाहर रहते हैं, जबकि बुकिंग उनके मोबाइल नंबर से होती है। ऐसी स्थिति में परिवार के अन्य सदस्य ओटीपी नहीं बता पाते और डिलीवरी मैन सिलेंडर वापस ले जाता है। बहुत से परिवारों में एक ही नंबर से बुकिंग की जाती है और वह व्यक्ति हर समय घर पर उपलब्ध नहीं रहता। इस कारण डिलीवरी के अवसर छूट जाते हैं और उपभोक्ता को अगली डिलीवरी का इंतजार करना पड़ता है।
गैस एजेंसियों की सलाह और उपाय
गैस एजेंसियों ने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि वे अपने मोबाइल नंबर अपडेट करवाएं और यदि संभव हो तो परिवार के अन्य सदस्यों के नंबर भी लिंक करवाएं, ताकि कोड प्राप्त करने में समस्या न आए। एजेंसियों ने यह भी कहा है कि कोई भी डिलीवरी बिना कोड के नहीं दी जाएगी, इसलिए उपभोक्ता बुकिंग की जानकारी सही रखें। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को यह भी सलाह दी गई है कि यदि उन्हें डिलीवरी में किसी भी तरह की समस्या, संदिग्ध व्यवहार या गड़बड़ी दिखाई दे, तो तुरंत संबंधित गैस एजेंसी से संपर्क करें।
लंबी अवधि में लाभ की उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि नई व्यवस्था से शुरुआत में थोड़ी असुविधा जरूर होगी, लेकिन आने वाले समय में इससे धोखाधड़ी, फर्जी डिलीवरी और उपभोक्ता परेशानियों में काफी कमी आएगी। यदि कंपनियां तकनीकी विकल्प बढ़ाती हैं, जैसे वैकल्पिक मोबाइल नंबर, फेस रिकग्निशन या ऐप आधारित सत्यापन की सुविधा, तो ओटीपी सिस्टम और भी उपयोगी और सुविधाजनक बन सकता है। पटना में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की डिलीवरी में ओटीपी आधारित नई प्रक्रिया पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है। हालांकि उपभोक्ताओं और गैस एजेंसियों को शुरुआती चुनौतियों से गुजरना पड़ रहा है, लेकिन बदलते समय में यह व्यवस्था डिलीवरी तंत्र को अधिक विश्वसनीय बनाएगी। उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे अपने मोबाइल नंबर और बुकिंग विवरण को अद्यतन रखें, ताकि उन्हें किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।


