BIHAR : चमकी बुखार पर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविका करेंगी वार

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* लीची पैदावार वाले जिलों में चमकी बुखार की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए मार्गदर्शिका जारी
* लीची बगान के आसपास रहने वाले परिवारों के घरों का करेंगी भ्रमण
* अप्रैल के अंतिम सप्ताह से लेकर जून तक चलेगा अभियान


पटना। बिहार सरकार गर्मी का प्रकोप शुरू होने के साथ ही चमकी बुखार से निपटने की कवायद तेज कर दी है। इसे लेकर लीची पैदावार वाले जिलों के लिए चमकी बुखार की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए मार्गदर्शिका जारी की गई है। इन जिलों में अप्रैल के अंतिम सप्ताह से लेकर जून तक चमकी बुखार की रोकथाम को लेकर विशेष एहतियात बरती जाएगी। इस दौरान आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाओं को चमकी बुखार पर नजर रखेंगी। वे लीची बगान के आसपास रहने वाले परिवारों के घरों का भ्रमण करेंगी। उन घरों पर विशेष ध्यान होगा, जहां 15 साल तक के आयु वर्ग के बच्चे रहते हैं। ऐसे परिवारों को लीची से होने वाले नुकसान की जानकारी देंगी। साथ ही बच्चे को लीची का सेवन नहीं करने देने की सलाह देंगी। अगर बच्चे ने लीची खा लिया है तो रात में सोने से पहले निश्चित तौर पर भरपेट खाना खिलाने की सलाह देंगी।
लोगों को करेंगी जागरूक
जारी मार्गदर्शिका के अनुसार यह अभियान अप्रैल के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के अंतिम सप्ताह तक चलेगा। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाओं के पास नजदीक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल हॉस्पिटल और एम्बुलेंस का मोबाइल नंबर होगा, जो चमकी बुखार के लक्षण, बचाव और इसके रोकथाम को लेकर लोगों को जागरूक करेंगी। उनके पास दवा का किट होगा, जिसमें पारासिटामोल और ओआरएस का पैकेट होगा ताकि चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे का तुरंत प्राथमिक इलाज प्रारंभ हो सके। उसके बाद पीड़ित बच्चे को निशुल्क एम्बुलेंस उपलब्ध कराने और नजदीक के स्वास्थ्य संस्थान में भर्ती कराने में सहयोग करेंगी। किसी कारणवश निशुल्क एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होने पर निजी या भाड़े के वाहन पीड़ित बच्चे को अस्पताल पहुंचाने पर तय किराया का भुगतान किया जाएगा।
जाने किन्हें है मष्तिष्क ज्वर का खतरा
* 1 से 15 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को
* ऐसे परिवार जो लीची बागानों के नजदीक रहते हों और लीची का प्राय: सेवन करते हों.
* वैसे कुपोषित बच्चे जो अधपके लीची का सेवन करते हों
* वैसे बच्चे जो लीची खाने के बाद बिना भरपेट भोजन किये सो जाते हों
* वैसे बच्चे जो खाली पेट धूप में खेलते हों

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