बिहार विकलांग अधिकार मंच ने कहा, जातीय जनगणना से पूर्व हो दिव्यांग जनों की जनगणना

पटना। बिहार विकलांग अधिकार मंच के तत्वावधान में दिव्यांग जनों की प्रमुख 7 मांगों को लेकर राजधानी के कदमकुआं हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रांगण में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंच के संरक्षक डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि देश में 21 प्रकार के दिव्यांगों की संख्या है और बिहार में भी लगभग पूरे जनसंख्या के 10% दिव्यांगों की संख्या का आकलन किया जाता है, लेकिन सरकार का कोई सर्वे नहीं होने के कारण सरकारी स्तर पर दिव्यांग जनों की योजनाओं को निर्धारित करने में थोड़ी समस्याएं होती है, इसलिए आज के समय में जरूरी है कि सभी तरह के जनगणनाओं से पूर्व दिव्यांग जनों की जनगणना कराई जाए, ताकि इनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के लिए ठोस पहल किया जा सके।
वहीं अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि दिव्यांग जनों के वर्षो संघर्ष के बाद राज्य में सिविल सोसायटी को भी दिव्यांग आयुक्त बनने का मौका मिला है, लेकिन बिहार में एक भी दिव्यांग राज्य आयुक्त नि:शक्तता दिव्यांगजन नहीं बना है इसलिए सरकार को इस दिशा में विशेष हस्तक्षेप कर दिव्यांग को नि:शक्तता आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में प्राथमिकता देते हुए योग्य दिव्यांग उम्मीदवार को राज्य आयुक्त बनाई जाए।
नेत्रहीन परिषद के महासचिव डॉ. नवल किशोर शर्मा ने कहा कि राज्य में नेत्रहीन लड़कियों के लिए आजादी के 73 वर्षों के बाद भी कोई राजकीय बालिका विद्यालय नहीं है। एक विद्यालय एक एनजीओ के द्वारा पटना में चलाया जा रहा है, जिसकी स्थापना डॉ. शर्मा सहित पांच नेत्रहीनों ने की थी, लेकिन उसे पटना के एक दबंग चिकित्सक ने गैरकानूनी ढंग से कब्जा कर रखा है।
प्रेस वार्ता को मंच के राज्य सचिव राकेश कुमार, विजय कुमार, विभा कुमारी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मंच के वरीय सदस्य गणेश कुमार, पटना विश्वविद्यालय, इतिहास विभाग के प्रो. सतीश कुमार आदि थे।


सरकार से की ये मांगे
* बिहार सरकार के प्रस्तावित जातीय जनगणना से पूर्व कोटवार दिव्यांग जनों की जनगणना कराया जाए
* बिहार में दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्राओं के लिए कम से कम एक सरकारी विद्यालय स्कूल खोला जाए
* राज्य समाजिक सुरक्षा नि:शक्तता पेंशन की राशि 400 रूपये मासिक से बढ़ाकर कम से कम 2000 रूपये किया जाए
* राज्य आयुक्त नि:शक्तता दिव्यांगजन बिहार सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया में दिव्यांग उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हुए योग्य दिव्यांग जनों को राज्य आयुक्त नि:शक्तता दिव्यांगजन बनाया जाए
* शिक्षित एवं प्रशिक्षित और अशिक्षित दिव्यांग जनों को रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में 10000 रूपये मासिक बेरोजगारी भत्ता या गुजारा भत्ता दिया जाए
* राजस्थान सरकार के तर्ज पर नगर निकायों में 4% आरक्षण का प्रावधान कर दिव्यांग जनों को भी बिहार के नगर निकायों में जनप्रतिनिधि बनाया जाए आदि

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