पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के फिर बिगड़े बोल, कहा -ब्राह्मण करते हैं मांस-मदिरा का सेवन

गया। ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद पर टिप्‍पणी कर सवालों के घेरे में आए बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी ने एक बार आपत्तिजनक बयान देकर विवाद को सुलगा दिया है। इस बार उन्‍होंने मोक्ष की भूमि बोधगया में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कई ब्राह्मण ऐसे हैं, जिन्‍हें ब्रह्म का ज्ञान नहीं होता। वे जाति के नाम पर समाज में इज्‍जत पाते हैं और मांस-मदिरा का प्रयोग करते हैं। हालांकि, इस बयान के बीच उन्‍होंने कहा कि ब्राह्मणों के प्रति मेरी आस्‍था है। जो ब्रह्म को जानते हैं, वहीं असली ब्राह्मण हैं। आज ब्राह्मण के नाम पर कई लोग पोती-पतरा लेकर निकल जाते हैं, लेकिन उन्‍हें तनिक भी ज्ञान नहीं होता। इतना ही नहीं, वे मांस और मदिरा का उपभोग करते हैं। ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए। हम वैसे लोगों को पुजारी नहीं कहेंगे।

जीतनराम मांझी ने कहा कि 1956 में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने बौद्ध धर्म को अपनाया था। हालांकि, वे पहले से हिंदू थे। उन्‍होंने कहा कि हमने भुइयां संघ की बैठक में यह कहा था कि आजकल मूसहर टोली में भी सतनारायण भगवान की पूजा होने लगी है, लेकिन जो पूजा कराने वाले लोग हैं, वह दक्ष नहीं होते। ऐसे अज्ञानी ब्राह्मणों को शर्म आनी चाहिए। जीतनराम मांझी ने ब्राह्मणों को लेकर अपशब्‍द का इस्‍तेमाल भी किया। उस अपशब्‍द के बारे में कहा कि यह शब्द मगध में प्रचलित है, इसलिए हमने इसका प्रयोग किया था। जीतनराम मांझी ने कहा कि हम ने ब्राह्मणों के प्रति कुछ गलत नहीं कहा, बावजूद इसके हमने दो बार माफी मांगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ब्राह्मणवाद वह है, जो बगैर कुछ जाने जाति के नाम पर ब्राह्मणों (पुजारी) का काम करने में डूब जाते हैं। हम ने अपने गांव में भी ऐसा देखा है, जो पुजारी मांस और मदिरा का सेवन करते हैं और वह पूजा पाठ भी कराते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे बयान के बाद एक पूर्व सांसद और एक पूर्व बिहार विधानसभा के विधायक ने मुझे धमकी दी। बयानबाजी पर प्रतिक्रिया होती है। 41 साल के राजनीतिक जीवन में हम ने ऐसा नहीं देखा। उन्होंने फिर दोहराया कि रामायण महाकाव्य है, लेकिन उसमें राम का चरित्र काल्पनिक है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मुकदमाबाजी होते रहते हैं, इससे डरने की जरूरत नहीं हैं।

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