August 20, 2025

2025 के विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में होगा भाजपा का सीएम,पोलिटिकल चक्रव्यूह की रचना,पार्टी के थिंक टैंक्स जुटे,तैयारी मुक्कमल 

>>अजगर की तरह बिहार में सहयोगी को निगलने की तैयारी,पिछली बार चिराग मॉडल इस बार

>>उत्तर प्रदेश की तरफ बिहार में भी शासन की बागडोर अपने हाथों में लेना चाहती है भाजपा

 

पटना (बन बिहारी)।आसन्न विधानसभा चुनाव 2025 में जीत के उपरांत बीजेपी बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनना चाहती है। जिसे लेकर भाजपा के थिंक टैंक्स के द्वारा सटीक रणनीति तैयार की जा रही है। दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद जब भाजपा के विधायक अपने सहयोगी पार्टी जदयू से संख्या बल में दोगुने से कुछ ही कम थे।तब भी भाजपा बिहार में अपना मुख्यमंत्री थोंपने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।क्योंकि भाजपा को डर था कि ऐसी स्थिति में सीएम नीतीश कुमार अपनी पार्टी जदयू के साथ राजद-कांग्रेस के पाले में चले जाएंगे।संख्या बल में कम सीटें होने के बावजूद भाजपा के द्वारा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के पद पर सहर्ष स्वीकार किया गया।इसके बाद भी नीतीश कुमार 2022 के अगस्त में राजद-कांग्रेस तथा वाम दलों के साथ चले गए और सरकार बना ली। 2024 के लोकसभा चुनाव के पूर्व फरवरी के प्रथम सप्ताह में जदयू ने सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से पाला बदलते हुए भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया। बिहार में सीएम नीतीश कुमार ही रहे लेकिन भाजपा फिर सत्ता में लौट आई। 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा कुछ इस प्रकार के राजनीतिक चक्रव्यूह की रचना में जुटी हुई है कि चुनाव परिणाम अगर एनडीए के पक्ष में आते हैं।तो सीएम पद पर भाजपा का कोई नेता बैठेगा। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि केंद्र के राजनीति में दीर्घकालिक मजबूती बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश के साथ बिहार में भी भाजपा शासन की बागडोर अपने हाथों में लेना चाहती है।ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए में शामिल अन्य सहयोगी दलों यथा लोजपा (रा),हम सेकुलर तथा रालोमो को पूरी तरह से विश्वास में लेकर सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार कर रही है।भाजपा के आंदोलन सूत्रों के मामले तो सूत्रों के बंटवारे का फार्मूला लगभग तैयार है।कहा जाता है कि पिछली बार विधानसभा चुनाव में भाजपा के अप्रत्यक्ष आशीर्वाद से मोदी के ‘हनुमान’ चिराग पासवान,जो अभी वर्तमान में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल केंद्रीय मंत्री हैं,ने जदयू के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवारों को खड़ा करके जदयू के साइज को भाजपा के सामने बड़े भाई से छोटे भाई के रूप में परिवर्तित करवा दिया।सीएम नीतीश कुमार तथा उनकी पार्टी के लोग अभी तक चिराग मॉडल से मिले राजनीतिक घावों को भूले नहीं है।यह बात अलग है कि सीएम नीतीश कुमार को मानस पिता बताने वाले बेहद खास मंत्री डॉ अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी 2024 के लोकसभा चुनाव में न सिर्फ चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रा) के टिकट पर मैदान में उतरी।बल्कि जीत कर सांसद भी बन गई। जबकि नीतीश कैबिनेट के दूसरे मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी ने शाम्भवी चौधरी के खिलाफ कांग्रेस से टिकट लेकर मैदान में खड़े होने का काम किया।देखा जाए तो सीएम नीतीश कुमार के कैबिनेट के एक मंत्री की बेटी चिराग मॉडल वाली पार्टी के तरफ से चुनाव मैदान में उतरती है,जीतती भी है।वहीं दूसरी तरफ उनके ही कैबिनेट के दूसरे मंत्री के बेटे महागठबंधन की टिकट पर उसी मैदान से उतरते हैं। बावजूद दोनों मंत्री लोकसभा चुनाव के बाद लगातार अभी तक कैबिनेट में मंत्री पद पर बरकरार रहे। ऐसे राजनीतिक सत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जदयू की रणनीति पहले की तरह ‘क्लियर कट’ नहीं बल्कि ‘कॉम्प्लिकेटेड’ होते जा रही है। इसके अलावे भी सीएम नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट के कई ऐसे राजनीतिक पहलु हैं।जिसे देखते हुए 2025 के विधानसभा चुनाव के उपरांत भाजपा मुख्यमंत्री की कुर्सी को अपने पाले में करने की जद्दोजहद में जुट गई है।

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