बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था : कई प्रभारी और प्रधानाध्यापक बदले गए, लेकिन विद्यालय का भवन अब भी अधूरा

बाढ़। शिक्षा विभाग की बदहाली किसी से छुपी हुई नहीं है। हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5वीं क्लास के बच्चे से शिक्षा की बदहाली के बारे में नालंदा में सुना भी। लेकिन जो मामला आपको बताने जा रहा हूं, यह पटना जिला के बाढ़ अनुमंडल के पंडारक प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय दौलतपुर का है। जहां वर्ष 2012 में 18.5 लाख की लागत से विद्यालय का 2 मंजिला भवन बनना था। भवन की शुरूआत तत्कालीन प्रधानाध्यापक भूपेंद्र प्रसाद सिंह के द्वारा शुरू भी हुई पर भवन अधूरा ही रह गया और शिक्षक 2015 में सेवानिवृत्त हो गए। उसके बाद स्कूल का प्रभार मधुकांत चौधरी के पास आया। 6 महीना बाद वह भी स्थानांतरण के बाद ग्वासा शेखपुरा विद्यालय चले गए। जिसके बाद प्रभारी रामाश्रय दास ने विद्यालय निर्माण का जोर लगाया, पर हुआ कुछ नहीं और वह भी 2018 में सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद विद्यालय का प्रभार रामबालक प्रसाद के पास 2021 तक रहा, फिर भी कुछ नहीं हुआ। अब विद्यालय का कमान प्रधानाध्यापक धीरेंद्र कुमार के पास है और उनके द्वारा कई बार कागजी प्रक्रिया की गई, लेकिन सफलता नहीं लगी।


हालात यह है कि भवन अब जर्जर होने लगा है और अभी भी इस भवन को पूरा करने में करीब 9 से 10 लाख रूपये की खर्च बताई जा रही है। विद्यालय भवन को लेकर कई बार शिक्षा पदाधिकारी ने जांच पड़ताल की, पर यहां भी रिजल्ट शून्य बट्टा सन्नाटा ही रहा। आखिरकार विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज करते हुए मामले को भगवान भरोसे छोड़ दिया और हालात आज यह है कि इस विद्यालय में 310 छात्र होने के कारण बच्चों को बैठने के लिए भवन तक नहीं है। पुराने टूटे-फूटे विद्यालय परिसर में किसी तरह से बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इस बाबत कई बार प्रधानाध्यापक धीरेंद्र कुमार ने विभाग के आला अधिकारी को समस्या से अवगत कराया हैं।
इस मामले पर जब प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी पंडारक अरविंद कुमार से बात की गई तो उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी को सारी जानकारी होने की बात कही है लेकिन विद्यालय भवन को पूर्ण करने की अभी तक कोई पहल शुरू नहीं की गई है, जिसका खामियाजा इलाके के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं इलाके के ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर करते हुए अब मामले को मुख्यमंत्री जनता दरबार में उठाए जाने की तैयारी कर रहे हैं।

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