BIHAR : पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से जीवंत करने में सामूहिक प्रयास जरूरी
- सीड ने विश्व पर्यावरण दिवस पर जन-जागरूकता के लिए फेसबुक लाइव परिचर्चा आयोजित की
पटना। सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना’ (इकोलॉजिकल रिस्टोरेशन) के अनुरूप शनिवार को दो फेसबुक लाइव परिचर्चा सत्र आयोजित की, जिसका मकसद हमारे पर्यावरण को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने से जुड़े दूरदर्शी एवं वैज्ञानिक समाधानों पर विचार-विमर्श करना और लोगों के सामूहिक प्रयासों का आह्वान करना था। पहला सत्र ‘सततशील भविष्य के लिए पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार’ विषय पर चर्चा को समर्पित था, वहीं दूसरे सत्र का विषय “ऊर्जा दक्षता के जरिए पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार’ था। दोनों परिचर्चा समग्र तौर पर पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने और व्यावहारिक समाधानों के जरिए हमारी धरती को सुरक्षित बनाने पर केंद्रित थी। यह कार्यक्रम सीड द्वारा एक महीने तक चलाए गए आॅनलाइन सोशल मीडिया कैंपेन ‘हील द इकोसिस्टम’ का एक अभिन्न अंग था, जिसे राज्य की प्रमुख हस्तियों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, सिविल सोसाइटी संगठनों व आम नागरिकों से काफी समर्थन मिला है।
पहले सत्र को पद्मश्री प्रो. रवींद्र कुमार सिन्हा (कुलपति, श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय, जम्मू) ने संबोधित किया, जो ‘डॉलफिन मैन आॅफ इंडिया’ के रूप में लोकप्रिय हैं। उन्होंने पर्यावरण को बेहतर करने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और जलीय जीवन एवं वन्यजीवों को विलुप्त होने से बचाने के लिए हमें सततशील उपायों के जरिए पारिस्थितिक तंत्र को फिर से जीवंत करने की आवश्यकता है। हमें अपने प्राकृतिक परिवेश के सुंदर जीवों की कीमत पर भौतिकवादी लिप्सा में लिप्त नहीं रहना चाहिए, बल्कि सहअस्तित्व के सिद्धांत के अनुरूप एक-दूसरे पर पारस्परिक रूप से निर्भर परिवार की तरह आचरण करना चाहिए। एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने, जैव विविधता के नुकसान को रोकने, सभी की आजीविका सुनिश्चित करने और दुनिया को सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण बनाने में सक्षम है।
चर्चा के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड (ईईएसएल), बिहार के स्टेट हेड राकेश प्रताप यादव ने नवीनतम तकनीक और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से कार्बन-न्यूट्रल दुनिया बनाने पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ऊर्जा का सही और दक्षतापूर्ण उपयोग तथा जीवन के हर क्षेत्र में स्वच्छ, हरित और अक्षय ऊर्जा साधनों को अपनाने से दुनिया को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। जीवाश्म ईंधनों के बेहिसाब इस्तेमाल से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और वातावरण में कार्बन फुटप्रिंट के कारण हो रहे विनाश को ध्यान में रखते हुए विकास गतिविधियों में अक्षय ऊर्जा को व्यापक पैमाने पर अपनाने की तत्काल आवश्यकता है, जो हमारे राज्य में समृद्धि और समग्र विकास का नया युग ला सकता है।