150 वर्ष पुराने कोइलवर पुल की स्थिति जर्जर,लगता है महाजाम….

पटना।निशांत कुमार,आज से लगभग 150 साल पहले लोहे के गाटर से बनकर तैयार हुए कोईलवरपुल ( अब्दुल बारी पुल) की स्थिति आज चिंताजनक है। ये पुल बिहार के दो बड़े जिलों भोजपुर और पटना को जोड़ने वाली एकमात्र साधन है, इसके अतिरिक्त कोई भी अन्य विकल्प यहां मौजूद नहीं है। यह पुल एक ओर जहाँ दानापुर-मुगलसराय रेलखंड को जोड़ती है मगर आज यह लोगों के लिए परेशानियों का सबब बन गई है।

भोजपुर को पटना जिले से जोड़ने वाला कोईलवर पुल आजकल राहगीरों के लिए समस्या बन गई है। फिलहाल स्थिति ऐसी है कि यहाँ हर रोज लगने वाले महाजाम के कारण लोग पूरब से पश्चिम एवं पश्चिम से पूरब जाने के नाम पर कांफ उठते हैं। यहाँ आये दिनों एम्बुलेंस, स्कूल वाहन, निजी वाहन से लेकर सोन नदी से बालू लादकर ले जाने वाले बड़े ट्रकों को भी फंसना पड़ता है।

पटना-बक्सर हाइवे पर कोईलवर पुल के पूरब दिशा के मुहाने पर परेव गाँव से लेकर बिहटा तक ट्रकों की लंबी कतार लगी रहती है। एक लेन में ट्रकों के घंटों खड़ा रहने के कारण सड़क छोटा पड़ जाता है जिससे अन्य वाहनों को उस रास्ते से गुजरने में काफी समस्याओं से जूझना पड़ता है। लोगों के लिए समस्या बनते जा रहे इस पुल के दोनों मुहाने पर जहाँ एक ओर टूटी सड़कों के कारण मौत को दावत दी जा रही है वहीं दूसरी ओर भयानक जाम ने लोगों को मुश्किल में डाल रखा है। सैकड़ों बालू लदे ट्रकों के कारण इस पुल की स्थिति दिन पर दिन खराब होते जा रही है।

बस एव ट्रक ड्राइवर बताते हैं कि घंटो लाइन में रहने के बाद उनको पुल में जगह मिलता है और किसी तरह से निकलना होता है। रोजाना जाम की समस्या से लोग परेशान हैं। वहीं भोजपुर पुलिस एवं पटना पुलिस के प्रशासन मानो कान में तेल डालकर सो गए है। राहगीरों ने आरोप लगाया है कि इस जाम की समस्या से निजात दिलवाने के लिए पुल पर तैनात पुलिसकर्मियों को चढ़ावा यानी रिश्वत भी देना पड़ता है। पुल की जर्जरता की बात करें तो पुल के दोनों मुहाने पर बड़े बड़े गड्ढे बन गए है जो कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना का गवाह बन सकते हैं। वहीं जिला प्रशासन को भी इसकी सुध नहीं है और न ही इस बड़े मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार हैं। यातायात की सुविधा विकास की कुंजी मानी जाती है। अब तो आने वाला समय ही बताएगा कि व्यवस्था सुधरती है या  ऐसे ही रहती है।

About Post Author

You may have missed