October 29, 2025

बिहार बिग टेंडर स्कैम- पावर ब्रोकर रिशु श्री के इशारे पर नगर विकास में भी जमकर हुआ खेल,करोड़ों का टेंडर घोटाला,खुलासे के बाद भी कार्रवाई नहीं

>>नियम कानून को धता बताते हुए टेंडर देनेदिलाने,फर्जीवाड़े के आरोपी कंपनी को डिबार मुक्त करने तथा रोक लगाई गई भुगतान को जारी करवाने का खेल खेला गया

 

>>करोड़ों की वित्तीय अनियमितता हुई, कौन करेगा जांच? कौन करेगा कार्रवाई? कौन देगा जवाब? नक्कारखाने में तूती की आवाज

 

पटना।(बन बिहारी)बिहार में पूरा का पूरा सरकारी तंत्र लगभग धनतंत्र में परिवर्तित हो गया है तथा रिशु श्री जैसे धनपशुओं ने अवैध धन संचय के खेल में पूरे के पूरे सिस्टम को नंगा करके रख दिया है।नगर विकास विभाग के अधीन बुडको में जिस प्रकार से तमाम नियम कानून को धता बताते हुए टेंडर देने-दिलाने,फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाने वाली कंपनी को डिबार मुक्त करने तथा रोक लगाई गई भुगतान को जारी करवाने का खेल खेला गया है।इसे देखकर तो यही लगता है कि प्रदेश में सरकार धन पशुओं के इशारे पर नाचने का काम कर रही है। बिहार में लगभग एक दर्जन आईएएस अधिकारियों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का काम करने वाले करप्ट पावर ब्रोकर रिशु श्री के इशारे पर बिहार में हजारों करोड़ के टेंडर घोटाले को अंजाम दिया गया है।जिसे लेकर उसके खिलाफ स्पेशल विजिलेंस यूनिट के द्वारा एफआईआर दर्ज कर जांच की जा रही है। बिहार के वरीय आईएएस अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय की टीम को रिशु श्री के खिलाफ छापेमारी के क्रम में दस्तावेज हाथ लगे।तब जाकर बिहार में चल रहे टेंडर घोटाले का पर्दाफाश हुआ ईडी के द्वारा दिए गए प्रमाण के आधार पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट के द्वारा रिशु श्री के खिलाफ फिर दर्ज की गई है।

बिहार में टेंडर घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक और बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर किया है। घोटाले के किंगपिन कहे जाने वाले रिशु श्री के नेटवर्क में शामिल एक और कंपनी मे. जे एम वाघासिया–जैनम इन्जिकोन प्रा.लि. सूरत (गुजरात) का नाम सामने आया है।

कंपनी ने नमामि गंगे योजना (बङहिया आई एण्ड डी एंड एसटीपी, एनआरटी सं. 33, 27/09/22) के लिए बोली लगाई थी और अनुभव प्रमाण पत्र के तौर पर नगर परिषद, बीवर राजस्थान द्वारा जारी दस्तावेज लगाया था।

 

बुडको की जांच में यह प्रमाण पत्र फर्जी निकला। बीवर के कार्यपालक अभियंता ने पुष्टि की कि ऐसा कोई पत्र उन्होंने जारी नहीं किया और प्रमाण पत्र के लिए फर्जी ईमेल आईडी बनाई गई थी। नतीजतन, बुडको ने 20 जून 2023 को कंपनी को 10 वर्षों के लिए डिबार किया और जमानत राशि जब्त कर ली।

कंपनी ने इस आदेश को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि कंपनी को पक्ष रखने का अवसर दिया जाए। बुडको ने 15 जनवरी 2024 को कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा, जिसमें कंपनी ने गलत अनुभव प्रमाण पत्र लगाने की बात स्वीकार की। इसके बाद 7 मार्च 2024 को बुडको ने दो वर्षों के लिए पुनः डिबार करने और EMD जब्त रखने का आदेश दिया।

 

यह अकेला मामला नहीं था। दूसरी निविदा (एनआरटी सं. बिडको/वा ई-2473/22(भाग) – 45, 8/11/22) में कंपनी ने नगरपालिका, कुशलगढ़, राजस्थान का अनुभव प्रमाण पत्र दिया, जो जांच में फर्जी निकला। यहां भी कंपनी को 10 वर्षों के लिए डिबार किया गया और अग्रधन की राशि जब्त हुई।

लेकिन 15 मई 2024 को बुडको के तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक ने अप्रत्याशित रूप से कंपनी को डिबार मुक्त कर दिया और जब्त अग्रधन की राशि वापस करने का आदेश दिया। यह आदेश नगर विकास विभाग के पूर्व निर्देशों के खिलाफ था।

 

सिर्फ 13 दिन बाद, 28 मई 2024 को बुडको के एक बड़े टेंडर (बिडको/यो-2117/21-06, 15/02/24) में इसी कंपनी को काम भी मिल गया, जिसकी निविदा तिथि 6 बार बढ़ाई गई थी।ईडी की जांच में साफ हुआ है कि सीनियर आईएएस संजीव हंस की गिरफ्तारी और रिशु श्री के नेटवर्क के खुलासे के बाद, कई डिबार की गई कंपनियां प्रशासनिक रसूख के दम पर न केवल प्रतिबंध से मुक्त हुईं बल्कि करोड़ों के ठेके भी हासिल कर लीं।यह मामला दिखाता है कि बिहार में टेंडर माफिया की पकड़ कितनी गहरी है और कैसे नियम-कायदों को दरकिनार कर फर्जी कंपनियों को बड़े प्रोजेक्ट सौंपे

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