सुप्रीम कोर्ट में ईड़ी को बड़ा झटका: अमित कत्याल की जमानत रद्द करने की याचिका शीर्ष अदालत ने की खारिज

नई दिल्ली/पटना। लैंड फॉर जॉब घोटाले से जुड़ी एक अहम सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ा झटका दिया है। यह मामला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके करीबियों से जुड़ा है। ईडी ने इस केस में कारोबारी अमित कत्याल की जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को सही ठहराया और ईडी की दलीलों को नकार दिया। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ — जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल — ने की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी से कड़े सवाल पूछे। कोर्ट ने कहा कि जब इस घोटाले में कई बड़े नाम शामिल हैं, तो सिर्फ छोटे लोगों को ही क्यों गिरफ्तार किया गया है? क्या ईडी बड़े आरोपियों से डरती है? कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि जिन 11 अन्य आरोपियों के नाम इस केस में हैं, उन्हें अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। ईडी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने दलील दी कि दिल्ली हाईकोर्ट का जमानत देने का आदेश गलत है और कानून के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि इस आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया और हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा। ईडी का आरोप है कि अमित कत्याल ‘ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक हैं, और उन्होंने ऐसे उम्मीदवारों से जमीन लेकर वह संपत्ति लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के नाम ट्रांसफर करवाई, जिन्हें रेलवे में नौकरी दी गई थी। इसके साथ ही ईडी ने यह भी दावा किया कि कत्याल ने इस कथित मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े धन का प्रबंधन करने में यादव परिवार की मदद की।अमित कत्याल को 10 नवंबर 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने यह मानते हुए कि कत्याल की भूमिका अन्य आरोपियों की तुलना में कम गंभीर है, उन्हें जमानत दे दी। उन्हें 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और दो जमानती पेश करने की शर्त पर रिहा किया गया था। इस फैसले ने न केवल ईडी की जांच पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह संकेत भी दिया है कि कानून सबके लिए समान है और किसी को भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।

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