राज्य के हड़ताली डॉक्टरों पर सरकार की बड़ी कार्रवाई, स्वास्थ्य विभाग ने एक दिन का वेतन रोका

पटना। बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) के आह्वान पर डॉक्टरों का एक दिन के कार्य बहिष्कार को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। विभाग ने हड़ताली चिकित्सकों पर नो वर्क-नो पे लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत हड़ताली चिकित्सकों को एक दिन (मंगलवार) का वेतन नहीं देने का निर्णय लिया गया है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के तरफ से एक लेटर भी दिया गया है। पूर्णिया में सर्जन डॉक्टर राजेश पासवान पर हुए हमले के खिलाफ आईएमए के आह्वान पर राज्यभर में मंगलवार को एक दिन के हड़ताल पर चले गए थे। जिसके बाद अब इसको लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की ओर से सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, अधीक्षक व सभी सिविल सर्जन को पत्र भेजा गया है। जिसके तहत विभाग ने हड़ताली चिकित्सकों पर नो वर्क-नो पे लागू करने का निर्णय लिया है। यानी की हड़ताली चिकित्सकों को एक दिन का वेतन नहीं देने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ ने आईएमए के समर्थन में कार्य बहिष्कार की घोषणा की थी। इस निर्णय को लेने से पहले भासा ने सरकार को समुचित रूप से इसे संज्ञान में नहीं लाया है। इसलिए भासा का यह निर्णय पूर्णत: अवैध है। इसके आलोक में कार्य बहिष्कार को अवैध घोषित करते हुए नो वर्क-नो पे लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस आधार पर कार्य बहिष्कार में शामिल राज्य सरकार के अन्तर्गत कार्यरत चिकित्सकों को एक दिन 21 नवम्बर का वेतन अवरुद्ध करने का निर्णय लिया जाता है। विभाग ने संबंधित स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारियों को इस आदेश का अनुपालन करने को कहा है। इसको लेकर अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की ओर से सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, अधीक्षक व सभी सिविल सर्जन को पत्र भेजा गया है। उधर, सरकार के इस निर्णय का भासा ने विरोध किया है। संघ के अपर महासचिव डॉ हसरत अब्बास ने कहा कि जान जोखिम में डालकर डॉक्टर चिकित्सकीय कार्य नहीं कर सकते हैं। खुद सुरक्षित रहने पर ही डॉक्टर मरीजों का उपचार कर सकते हैं।

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