बशिष्ठ नारायण सिंह बोले, JDU एक्सपेरिमेंट में विश्वास करती है

पटना। राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य एवं बिहार जदयू के पूर्व अध्यक्षबशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि जदयू एक्सपेरिमेंट में विश्वास करती है। हम गांधी, लोहिया और जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों पर चलने वाले हैं और अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते, लेकिन इसके साथ ही बदलते समय में अपने सिद्धांतों के नवीनीकरण के पक्षकार भी बने रहते हैं। हम राजनीति के साथ-साथ अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों को अपने एजेंडे में समाहित कर ऐसा कॉकटेल तैयार करते रहते हैं, जो समाज को नए ढंग से सोचने को विवश करता है। यह कॉकटेल पौराणिक सिद्धान्त और आधुनिक विचार का मिश्रण होता है और हम इन्हीं अर्थों में देश भर में एक अकेली प्रयोगवादी पार्टी बनकर उभरते हैं।
श्री सिंह ने कहा कि साइकिल-पोशाक योजना, वृक्षारोपण, जल-जीवन-हरियाली, मद्य-निषेध इन योजनाओं के जरिए हमने प्रयोग ही तो किया है। आज जनता-दरबार की आधुनिक परिकल्पना भी तो प्रयोग ही है, उससे भी तो सत्ता और सरकार की समीक्षा दुनिया के सामने हो रही है। आम जनता तो यह समझ पा रही है कि सरकार किन मानदंडों के साथ चल रही है। हम गांधी के ग्राम-स्वराज के मॉडल पर भी चलते हैं और लोहिया-जेपी के दिए गए सिद्धान्तों को भी मानते हैं। हम एक साथ गुड गवर्नेंस, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ क्रांति, नर-नारी समानता, न्याय के साथ विकास, बिहारी-अस्मिता की लड़ाई, पर्यावरण की चिंता और विकासवादी मॉडल पर काम करने वाले संगठन भी हैं।
श्री सिंह ने आगे कहा कि नीतीश कुमार की एक अलग पहचान भी इसीलिए है कि उन्होंने अपनी राजनीति को कभी खांचे में कसने की जिद्द नहीं पाली। वह फ्लैक्सिबल और एक्सपेरिमेंटल होकर अपने राजनीतिक सिद्धांतों को नए रूप-रंग में ढालते रहे हैं। लेकिन उनकी प्राथमिकताओं में ‘बिहार का विकास’ हमेशा पहले नंबर पर रहा है। हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि हमारे तौर तरीके और सांगठनिक अनुशासन के प्रशंसक बहुतायत में हैं। हम रिस्क लेकर चुनाव मैदान में उतरने के पक्षकार रहे हैं। हम यह चिंता नहीं करते कि हमारे निर्णय का प्रभाव वोट-बैंक पर क्या पड़ेगा? हम तो जनता की आंखों की चमक ढूंढने की जिद्द में सारे राजनैतिक फैसले कर डालते हैं।
श्री सिंह ने आगे कहा कि जंगलराज की व्याख्या किये बगैर हम इतना ही कहेंगे कि विकास का सीधा मतलब है कि समाज जहां खड़ा है, उससे आगे बढ़ना या अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना। बिहार आज विकासोन्मुख है। बिहार के समाज, संस्कृति, रहन-सहन, मानसिक चिंतन व व्यवहार को मानदण्ड बनाते हुए इसकी विकास-यात्रा की समीक्षा की जा सकती है।

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