1 जनवरी से बिहार बोर्ड सॉफ्टवेयर से करेगा डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन, नया सिस्टम लॉन्च, घर बैठे होगी जांच
पटना। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाया है। छात्रों और संस्थानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम नामक नया सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है। इस नई व्यवस्था के तहत अब इंटर और मैट्रिक समेत अन्य परीक्षाओं से जुड़े प्रमाण पत्रों का सत्यापन पूरी तरह ऑनलाइन किया जाएगा। इसका सीधा लाभ यह होगा कि छात्रों और संस्थानों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बोर्ड कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
1 जनवरी से लागू होगी नई व्यवस्था
बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने स्पष्ट किया है कि यह नई डिजिटल व्यवस्था 1 जनवरी 2026 से पूरी तरह लागू हो जाएगी। इसके बाद मैनुअल तरीके से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी तरह बंद कर दी जाएगी। यानी अब न तो डाक के माध्यम से आवेदन भेजने की जरूरत होगी और न ही व्यक्तिगत रूप से बोर्ड कार्यालय जाने की बाध्यता रहेगी।
किन दस्तावेजों का होगा ऑनलाइन सत्यापन
नई व्यवस्था के तहत मैट्रिक और इंटर के प्रमाण पत्रों के अलावा शिक्षक पात्रता परीक्षा, डीएलएड और बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित अन्य परीक्षाओं से जुड़े शैक्षणिक दस्तावेजों का भी सत्यापन किया जा सकेगा। इससे छात्रों के साथ-साथ सरकारी विभागों, निजी कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों को भी बड़ी राहत मिलेगी, जो नियुक्ति या दाखिले के समय प्रमाण पत्रों की जांच कराते हैं।
डीवीएस पोर्टल से होगी पूरी प्रक्रिया
ऑनलाइन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की पूरी प्रक्रिया डीवीएस पोर्टल के माध्यम से पूरी की जाएगी। इसके लिए सबसे पहले संबंधित संस्था या विभाग को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। यह रजिस्ट्रेशन केवल एक बार करना पड़ेगा। रजिस्ट्रेशन के दौरान संस्था का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा, जैसे संस्था का नाम, प्रकार और संपर्क जानकारी।
सॉफ्टवेयर खुद तय करेगा सत्यापन प्रक्रिया
रजिस्ट्रेशन के बाद सॉफ्टवेयर अपने आप यह तय करेगा कि दस्तावेज सत्यापन किस अधिकारी या विभाग के पास भेजा जाना है। इससे मानवीय हस्तक्षेप कम होगा और प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनेगी। साथ ही संस्था की श्रेणी के अनुसार सत्यापन शुल्क भी स्वतः निर्धारित हो जाएगा, जिससे किसी तरह की भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी।
ऑनलाइन भुगतान और आवेदन की सुविधा
नई प्रणाली में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन ही किया जाएगा। शुल्क जमा होते ही आवेदन स्वीकार कर लिया जाएगा और इसके बाद दस्तावेजों की जांच डिजिटल माध्यम से शुरू हो जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि प्रक्रिया भी काफी सरल और भरोसेमंद बन जाएगी।
छात्रों और संस्थानों को होगा बड़ा फायदा
इस नई व्यवस्था से छात्रों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। पहले उन्हें नौकरी, उच्च शिक्षा या अन्य जरूरतों के लिए प्रमाण पत्र सत्यापन कराने में लंबा समय लगता था। कई बार डाक से आवेदन भेजने या कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब घर बैठे एक क्लिक पर यह काम हो सकेगा। इसी तरह सरकारी विभागों और निजी कंपनियों के लिए भी यह प्रक्रिया तेज और आसान हो जाएगी।
पारदर्शिता और समय की बचत
डिजिटल डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम से पारदर्शिता बढ़ेगी और अनावश्यक देरी की समस्या खत्म होगी। हर आवेदन की स्थिति ऑनलाइन देखी जा सकेगी, जिससे आवेदक को यह पता रहेगा कि उसका आवेदन किस चरण में है। इससे शिकायतों और विवादों में भी कमी आने की उम्मीद है।
बिहार बोर्ड की तकनीकी उपलब्धियां
बिहार बोर्ड पहले से ही समय पर परीक्षा परिणाम जारी करने के लिए देशभर में पहचान बना चुका है। मैट्रिक और इंटर के रिजल्ट समय से घोषित करने के मामले में बोर्ड कई बार अन्य राज्यों से आगे रहा है। अब डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन को पूरी तरह ऑनलाइन करके बोर्ड ने पेपरलेस व्यवस्था की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
देश में पहली बार पूरी तरह ऑनलाइन व्यवस्था
बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर के अनुसार बिहार बोर्ड देश का पहला राज्य परीक्षा बोर्ड बन गया है, जिसने दस्तावेज सत्यापन की व्यवस्था को पूरी तरह डिजिटल किया है। यह उपलब्धि न केवल बिहार के लिए गर्व की बात है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल के रूप में देखी जा सकती है।
भविष्य में और सुविधाओं की उम्मीद
डिजिटल सिस्टम लागू होने के बाद भविष्य में इसमें और सुविधाएं जोड़ी जा सकती हैं। जैसे ऑटोमेटिक स्टेटस अपडेट, ईमेल या मोबाइल पर सूचना और रिकॉर्ड का सुरक्षित डिजिटल संग्रह। इससे छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेज लंबे समय तक सुरक्षित रह सकेंगे। बिहार बोर्ड का ऑनलाइन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम छात्रों और संस्थानों के लिए एक बड़ी राहत साबित होने वाला है। 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाली यह व्यवस्था समय, पैसे और मेहनत की बचत करेगी। साथ ही इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रमाण पत्र सत्यापन की प्रक्रिया अधिक भरोसेमंद बनेगी। तकनीक के इस उपयोग से बिहार बोर्ड ने यह साबित कर दिया है कि डिजिटल बदलाव के जरिए शिक्षा प्रशासन को और बेहतर बनाया जा सकता है।


