कश्मीर के पुलवामा मे फिर आतंकी हमला, आतंकवादियों ने मजदूर को मारी गोली

पुलवामा। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में एक बार फिर आतंकी हमले की खबर सामने आई है। इस बार आतंकी तत्वों ने पुलवामा के त्राल क्षेत्र को अपने निशाने पर लिया और उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी शुभम कुमार पर हमला कर दिया। शुभम, जो वहां एक मजदूर के रूप में काम कर रहे थे, को आतंकियों ने गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस क्रूर घटना से कश्मीर घाटी में एक बार फिर से डर और असुरक्षा की भावना गहराने लगी है, खासकर उन प्रवासी मजदूरों में जो अपनी रोजी-रोटी के लिए दूर-दराज के इलाकों में काम करने आते हैं। यह हमला पुलवामा के बटागुंड गांव में हुआ, जहां शुभम कुमार रोज की तरह अपने काम में व्यस्त थे। अचानक उन पर आतंकियों ने हमला कर दिया और उनके हाथ में गोली मार दी। हमले के तुरंत बाद शुभम को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। स्थानीय पुलिस के अनुसार, घटना की जांच की जा रही है और हमलावरों की तलाश तेज कर दी गई है। हालांकि, इस हमले ने पूरे क्षेत्र में एक बार फिर भय का माहौल पैदा कर दिया है, खासकर उन प्रवासी मजदूरों के बीच जो रोजगार की तलाश में घाटी में आते हैं। इस घटना से पहले भी, हाल ही के दिनों में गैर-कश्मीरी श्रमिकों पर हमलों में वृद्धि देखी गई है। पिछले सप्ताह गंदरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर हुए हमले में छह मजदूरों और एक स्थानीय डॉक्टर की निर्मम हत्या कर दी गई थी। ऐसे हमलों का उद्देश्य स्पष्ट रूप से डर और अस्थिरता फैलाना है, ताकि बाहरी मजदूर और निवेशक कश्मीर में काम करने से डरें। आतंकवादियों द्वारा गैर-कश्मीरी लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वे घाटी में उन्नति और विकास के प्रतीक माने जाते हैं। कश्मीर घाटी में लंबे समय से अस्थिरता का माहौल रहा है, जिसमें आतंकवाद, अलगाववाद और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष लगातार बना हुआ है। धारा 370 हटने के बाद से घाटी में बदलाव की उम्मीदें थीं, लेकिन कुछ तत्व अभी भी हिंसा और आतंक के माध्यम से शांति और विकास को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर ऐसे हमले प्रवासी मजदूरों पर होते हैं, जो घाटी के निर्माण और अन्य विकास कार्यों में योगदान देते हैं। आतंकवादियों का उद्देश्य स्पष्ट है: वे घाटी में बाहरी लोगों को असुरक्षित महसूस कराना चाहते हैं, ताकि कश्मीर आर्थिक रूप से कमजोर बना रहे और बाहर से आने वाले श्रमिक और व्यापारी यहां काम करने से हिचकिचाएं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि वे कैसे गैर-कश्मीरी मजदूरों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने कई बार दावा किया है कि आतंकी संगठनों की कमर तोड़ी जा रही है, लेकिन फिर भी इस तरह के हमले चिंता का विषय बने हुए हैं। हर बार सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कड़े कदम उठाने के बावजूद, आतंकवादी अपने नापाक इरादों को अंजाम देने में सफल हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गैर-कश्मीरी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है? जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का कहना है कि घाटी में शांति और विकास का माहौल बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी इस हमले की कड़ी आलोचना हो रही है और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही है। हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन हमलों से डरने की जरूरत नहीं है और घाटी में विकास कार्य जारी रहेंगे। कश्मीर में गैर-कश्मीरी मजदूरों पर बढ़ते हमले इस बात की ओर इशारा करते हैं कि आतंकवादी तत्व घाटी में डर और अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे हालात में प्रवासी मजदूरों और कामगारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि वे बिना किसी भय के काम कर सकें। साथ ही, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को भी और सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ऐसे हमलों को रोका जा सके और कश्मीर में स्थायी शांति और विकास की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।

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