गया में एएसआई ने की आत्महत्या, सरकारी आवास में सल्फ़ास खाकर दी जान
गया। जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे पुलिस विभाग को स्तब्ध कर दिया है। रामपुर थाना में तैनात एएसआई अमरेंद्र कुमार यादव ने अपने सरकारी आवास में सल्फ़ास खाकर आत्महत्या कर ली। वर्दी पहनकर समाज की सुरक्षा करने वाले एक अधिकारी का इस तरह अचानक दुनिया छोड़ देना कई गंभीर सवाल खड़े करता है— क्या वह किसी दबाव में थे? क्या कोई अदृश्य मानसिक बोझ उन्हें भीतर से तोड़ रहा था? या फिर बीमारी ने उन्हें मजबूर कर दिया? इस घटना ने पुलिस की कठोर ड्यूटी के पीछे छिपी संवेदनशील और जटिल मानवीय तस्वीर को फिर एक बार सामने ला दिया है।
ड्यूटी के बाद आई दर्दनाक ख़बर
घटना सोमवार देर शाम की बताई जा रही है। ड्यूटी समाप्त करने के बाद एएसआई अमरेंद्र अपने सरकारी क्वार्टर में चले गए। कुछ देर बाद उन्होंने अपने एक साथी को फोन कर चौंका देने वाली बात कही— उन्होंने बताया कि उन्होंने ज़हर खा लिया है। यह सुनते ही थाना परिसर में हड़कंप मच गया। तत्काल कई पुलिसकर्मी उनके कमरे की ओर भागे और उन्हें उठाकर तुरंत मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने भरसक प्रयास किया, लेकिन सल्फ़ास जैसे घातक ज़हर के असर से उनकी हालत तेजी से बिगड़ती गई। कुछ ही घंटों में उनकी सांसें थम गईं और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
मूल घर पूर्णिया, बीमारी ने बनाया था कमजोर?
अमरेंद्र कुमार यादव पूर्णिया जिले के बरहरा कोठी थाना क्षेत्र के ओलह गांव के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे, पर उनकी बीमारी क्या थी— यह किसी को स्पष्ट नहीं पता। परिवार के लोग कहा करते थे कि वह शारीरिक रूप से कमजोर हो रहे थे, लेकिन उन्होंने कभी खुलकर अपनी तकलीफ जाहिर नहीं की। परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है और उनके सुबह तक गया पहुंचने की उम्मीद है। शव को मगध मेडिकल के शीतगृह में सुरक्षित रखा गया है ताकि पोस्टमॉर्टम के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
पुलिस विभाग में शोक की लहर
एएसआई अमरेंद्र यादव के निधन की खबर सुनते ही रामपुर थाना के सभी पुलिसकर्मी सदमे में आ गए। सहकर्मियों का कहना है कि वह बेहद मिलनसार, शांत स्वभाव के और जिम्मेदार अफसर थे। उनकी टीम भावना और व्यवहारकुशलता की हर कोई तारीफ करता था। जो भी काम आता, उसे वह सहजता से स्वीकार करते और बिना शिकायत पूरा करते। उनके साथियों का कहना है कि अमरेंद्र हमेशा मुस्कुराते रहते थे। किसी ने कभी नहीं सोचा था कि उनके भीतर कोई भावनात्मक संघर्ष या तनाव इतना गहरा है कि वे ऐसा कदम उठा लेंगे।
आत्महत्या के कारणों पर घना सन्नाटा
अमरेंद्र की खुदकुशी के पीछे की वजह फिलहाल एक रहस्य बनी हुई है। बीमारी, मानसिक तनाव, पारिवारिक परेशानी या पेशेगत दबाव— इनमें से कौन सी वजह इस घटना तक लेकर आई, यह अभी स्पष्ट नहीं है। पुलिस विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों पर अक्सर अत्यधिक दबाव रहता है। अनियमित समय, लगातार तनाव, अपराधियों से निपटना और समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का भार— यह सब कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ जाता है। इस मामले ने फिर याद दिलाया कि वर्दी के पीछे भी एक इंसान होता है, जो दर्द भी महसूस करता है, थकता भी है और कई बार टूट जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल
एएसआई की आत्महत्या ने पुलिस महकमे में मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। देश भर में पुलिसकर्मियों के बीच तनाव, चिंता और अवसाद के मामले बढ़ रहे हैं। कई बार वे अपनी समस्याओं को साझा नहीं कर पाते, जिससे तनाव धीरे-धीरे बढ़कर गंभीर स्थिति में बदल जाता है। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि केवल अपराध नियंत्रण या कानून व्यवस्था ही पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि उनकी मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
क्या सिस्टम को बदलाव की जरूरत है?
यह घटना उन तमाम सवालों को सामने लाती है जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है— क्या पुलिसकर्मियों के लिए उचित काउंसलिंग सुविधा उपलब्ध है? क्या तनाव प्रबंधन के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है? क्या अधिकारियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की व्यवस्था है? क्या विभागीय दबाव कम करने के उपाय किए जा रहे हैं? अमरेंद्र की मौत सिर्फ एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि इस बात का प्रतीक है कि पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आज कितनी जरूरत है। एएसआई अमरेंद्र कुमार यादव की खुदकुशी ने गया पुलिस ही नहीं, पूरे राज्य को झकझोर दिया है। उनके जाने का कारण जो भी रहा हो, लेकिन यह घटना याद दिलाती है कि हर इंसान की भावनात्मक सीमाएं होती हैं।


