शुरू हुआ आर्द्रा नक्षत्र, 6 जुलाई तक रहेगा विद्यमान, खीर के सेवन से मिलेगी आरोग्यता

पटना। ज्योतिष शास्त्र और हमारी में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत ही उत्तम माना गया है। सूर्य को आरोग्य के कारक, ऊर्जा व प्रकाश के प्रतीक, जीवन में उम्मीद के संवाहक, संसार की आत्मा की संज्ञा दी गयी है। ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है। विशेषकर जब सूर्य की आर्द्रा नक्षत्र में उपस्थिति होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। आर्द्रा नक्षत्र उत्तर दिशा के स्वामी तथा इस नक्षत्र का स्वामी राहु होते हैं। 27 नक्षत्रों में यह छठा नक्षत्र है, जो मृगशिरा के बाद एवं पुनर्वसु नक्षत्र के पहले आता है।
नक्षत्र में बरसात की अधिक संभावना
ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि विगत मंगलवार को ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी उपरांत त्रयोदशी तिथि में दोपहर 01 बजकर 11 मिनट पर सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर गए। आर्द्रा नक्षत्र शुरू होने के साथ ही घरों में विशेष रूप से खीर, दाल वाली पुरी बनाकर इस नक्षत्र में भगवान विष्णु को भोग लगाकर ग्रहण करते हैं। आरोग्यता पाने के लिए विशेष रूप से आम भी खाते हैं। आषाढ़ कृष्ण द्वादशी दिन मंगलवार 6 जुलाई की दोपहर लगभग 2 बजे तक यह नक्षत्र रहेगा। यह नक्षत्र जितने दिन रहता है। इसमें बरसात की अधिक संभावना रहती है। इससे खेती पर अच्छा असर पड़ता है। इसी नक्षत्र से ही मानसूनी वृष्टि की शुरूआत होती है।


खीर के सेवन से मिलेगी आरोग्यता
ज्योतिषी झा ने पौराणिक कथाओं के हवाले से बताया कि प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर के आर्द्रा नक्षत्र में रहने पर महिलाएं खासकर अपने संतान की आरोग्यता के लिए स्वयं खीर बनाकर उन्हें खिलाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नक्षत्र में हुई बारिश में स्नान करने से चर्मरोग, सनबर्न, खुजली जैसी बीमारियों से राहत मिलती है।
27 नक्षत्रों में कृषि प्रधान नक्षत्र है आर्द्रा
यह नक्षत्र आकाश मंडल में मणि के समान दिखाई देता है। वामन पुराण के अनुसार नक्षत्र पुरुष भगवान नारायण के केशों में आर्द्रा नक्षत्र का निवास है। महाभारत के शांति पर्व के अनुसार जगत को तपाने वाले सूर्य, अग्नि व चंद्रमा की जो किरणें प्रकाशित होती हैं, सब जगतनियंता के केश हैं। यही कारण है कि आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायी कहा जाता है। कृषि कार्य की शुरूआत इसी नक्षत्र में होने के कारण यह नक्षत्र सर्वाधिक लोकप्रिय है।
मानसून के निष्क्रियता के आसार
ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी उपरांत त्रयोदशी के साथ मंगलवार की मिथुन संक्रांति तथा मंगल को ही आर्द्रा का प्रवेश वर्षा के लिये शुभफल कारक नहीं है। इससे पूरे प्रदेश में मानसून की निष्क्रियता झेलनी पड़ेगी। कुछ राज्यों में खंड वृष्टि तो कहीं अति वृष्टि के भी योग बन रहे हैं। राजस्थान, दिल्ली व गुजरात में वर्षा मेहरबान होंगे। अगस्त में मंगल के अस्त तथा बुध के उदय होने से सही क्षेत्रों में मानसून सक्रिय रहेगा।

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