डिलीवरी बॉय की सुरक्षा के लिए सरकार का बड़ा ऐलान, दुर्घटना में मौत होने पर परिजनों को मिलेगी दो लाख की राशि
पटना। राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए काम करने वाले डिलीवरी बॉय और अस्थायी कामगारों के हित में कई बड़े फैसले लिए हैं। इसके तहत गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों के लिए एक विशेष कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो उनके सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को देखेगा और योजनाओं का लाभ पहुंचाएगा।
दुर्घटना मृत्यु पर चार लाख, सामान्य मृत्यु पर दो लाख की सहायता
इस नई योजना के तहत अगर किसी डिलीवरी बॉय या अस्थायी कामगार की ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में मृत्यु होती है तो उसके परिजनों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। वहीं, अगर किसी की प्राकृतिक मृत्यु होती है तो परिवार को दो लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। यह प्रावधान ऐसे कामगारों के परिवारों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है जो रोजगार के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन उनके पास कोई सुरक्षा कवच नहीं होता।
प्लेटफॉर्म आधारित विधेयक 2025 पारित
राज्य सरकार ने इसके लिए बिहार प्लेटफॉर्म आधारित (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) विधेयक 2025 लाया है, जो विधानसभा में विपक्ष के विरोध के बीच पारित कर दिया गया। इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण विधेयक जैसे जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय, दुकान और प्रतिष्ठान, कारखाना संशोधन विधेयक भी पारित हुए हैं।
ओवरटाइम में भी राहत
कर्मचारियों के हित में ओवरटाइम की सीमा को भी 75 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दिया गया है। हालांकि, इसके लिए कर्मचारियों की लिखित सहमति अनिवार्य होगी। कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन कर यह बदलाव किया गया है ताकि श्रमिकों को उनके अतिरिक्त कार्य के लिए उचित भुगतान मिल सके।
कल्याण बोर्ड का गठन और पंजीकरण अनिवार्य
श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने जानकारी दी कि गिग और अस्थायी कामगारों के लिए गठित होने वाले कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष स्वयं विभागीय मंत्री होंगे। इसमें विभिन्न विभागों और प्लेटफॉर्म प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। सभी प्लेटफॉर्म और एग्रीगेटर कंपनियों को अनिवार्य रूप से 60 दिनों के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
यूनिक आईडी से मिलेगा लाभ
पंजीकरण के बाद प्रत्येक अस्थायी कामगार को एक यूनिक आईडी दी जाएगी। इसके माध्यम से कामगार विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे और उनकी निगरानी भी की जा सकेगी। इससे कामगारों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे और योजनाओं के सही क्रियान्वयन में पारदर्शिता आएगी।
चोट या अस्पताल में भर्ती होने पर आर्थिक मदद
अगर कोई गिग कामगार एक सप्ताह से अधिक अस्पताल में भर्ती रहता है तो उसे 16 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी। वहीं, एक सप्ताह से कम भर्ती रहने पर 5,400 रुपये की मदद मिलेगी। अगर कामगार को 40% से 60% तक विकलांगता होती है तो उसे 74 हजार से लेकर 2.5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
महिला कामगारों को मातृत्व लाभ
सरकार ने महिला कामगारों को भी ध्यान में रखते हुए विशेष प्रावधान किया है। मातृत्व लाभ के तहत उन्हें आवश्यक सुविधाएं और सहायता दी जाएगी ताकि कामकाज के दौरान उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके।
नया कानून बनेगा मिसाल
यह योजना देश में गिग और प्लेटफॉर्म आधारित कामगारों की सुरक्षा को लेकर एक मिसाल पेश कर सकती है। ऑनलाइन डिलीवरी और ई-कॉमर्स के इस दौर में लाखों युवाओं ने इसे रोजगार का माध्यम बना रखा है। ऐसे में यह कदम उनकी सुरक्षा और सामाजिक保障 को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगा। राज्य सरकार के इस कदम की चारों ओर सराहना हो रही है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में अन्य राज्य भी इस तरह की योजनाओं को अपनाएंगे ताकि अस्थायी और गिग कामगारों को भी स्थायी श्रमिकों की तरह अधिकार और सुरक्षा मिल सके।


